दिनाकरन के करीबी विधायकों ने छेड़ी मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत, द्रमुक ने की विश्वास मत की मांग

Last Updated 22 Aug 2017 06:44:15 PM IST

मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के खेमे के ओ पनीरसेल्वम के धड़े के साथ विलय से नाखुश अन्नाद्रमुक नेताओं शशिकला और टीटीवी दिनाकरन के वफादार विधायकों ने आज राज्यपाल से कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पलानीस्वामी पर भरोसा नहीं रहा है, जिसके बाद विपक्षी द्रमुक ने विश्वास मत हासिल करने की मांग पेश कर दी.


टीटीवी दिनाकरन (फाइल फोटो)

दिनाकरन समर्थक और आंडीपट्टी से विधायक थांगा तमिल सेल्वन ने राज्यपाल सी विद्यासागर राव से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, हम हमारा समर्थन करने वाले विधायकों की मदद से एक नये मुख्यमंत्री को लाने के प्रयास शुरू कर रहे हैं. इससे एक दिन पहले ही पलानीस्वामी और बागी नेता पनीरसेल्वम के धड़ों का आपस में विलय हो गया था.

दिनाकरन खेमे ने कल 25 अन्नाद्रमुक विधायकों के समर्थन का दावा किया था. राज भवन के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि आज सुबह बैठक हुई, लेकिन उन्होंने इसका ब्योरा नहीं दिया. उन्होंने प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों की संख्या और राव के साथ हुई बातचीत की प्रकृति पर भी कुछ नहीं कहा.

जेल में बंद अन्नाद्रमुक महासचिव वी के शशिकला के भतीजे दिनाकरन के करीबी विधायकों की राव से मुलाकात के बाद सेल्वन ने कहा, हमने राज्यपाल को बताया है कि हमें मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं है. 

तमिलनाडु की 234 सदस्यीय विधानसभा में अन्नाद्रमुक के 134 विधायक हैं. दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की आर के नगर विधानसभा अब भी खाली पड़ी है. द्रमुक के पास 89 विधानसभा सीट हैं और उसकी सहयोगी कांग्रेस के पास आठ तथा आईयूएमएल के पास एक सीट है.

घटनाक्रम को भुनाने का प्रयास करते हुए मुख्य विपक्षी द्रमुक ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा सत्र बुलाने और पलानीस्वामी को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश देने की मांग की.  पलानीस्वामी सरकार के सामने शक्ति परीक्षण की संभावना के सवाल पर सेल्वन ने कहा कि हमारी मंशा तो यही है.

उन्होंने दावा किया, हमारा इरादा है कि विश्वास मत होना चाहिए. ताकि उसके बाद नये मुख्यमंत्री की ताजपोशी हो. 



दिनाकरन का समर्थन करने वाले विधायकों ने पलानीस्वामी के नेतृत्व वाले अम्मा खेमे और पनीरसेल्वम की अगुवाई वाले पुरची तलाइवी अम्मा धड़े के कल हुए विलय पर सवाल खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री के खिलाफ जंग छेड़ दी है. तमिल सेल्वन ने पनीरसेल्वम के साथ विलय पर पलानीस्वामी की निंदा की.

तमिल सेल्वन ने 18 फरवरी को हुए विश्वास मत के संदर्भ में कहा, 122 अन्नाद्रमुक विधायकों ने पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री इसलिए बनाया था क्योंकि चिन्नम्मा (शशिकला) ने हमसे ऐसा करने को कहा था. पनीरसेल्वम ने सरकार के खिलाफ मतदान किया था. 

उन्होंने कहा, वह पार्टी को अलग करना चाहते थे और सरकार गिराना चाहते थे. उसके बाद भी आपने उन्हें उप मुख्यमंत्री का पद दे दिया. अब इसकी क्या जरूरत थी? 
      
उन्होंने पार्टी से शशिकला को हटाने के प्रयासों पर भी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि फरवरी में पनीरसेल्वम की बगावत के बाद भी शशिकला की वजह से ही अन्नाद्रमुक सरकार चलती रही.

संबंधित घटनाक्रम में अन्नाद्रमुक (अम्मा) के उप महासचिव दिनाकरन ने वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद आर वैथिलिंगम को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटाने की घोषणा की.

एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी के विश्वासपात्र वैथिलिंगम ने कहा था कि जेल में बंद पार्टी प्रमुख शशिकला को अन्नाद्रमुक से हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. इससे पहले विलय पर अपनी प्रतिक्रिया में दिनाकरन ने कहा कि यह पार्टी महासचिव शशिकला के साथ विश्वासघात है.

कल रात ट्वीट करके उन्होंने इस व्यवस्था के ज्यादा समय तक चलने को लेकर भी आशंका जताई.  उन्होंने आरोप लगाया, यह विलय नहीं है. यह स्वार्थ और पद की लालसा के लिए तथा पदों को बचाने के लिए हुई व्यावसायिक सहमति है. 

दिनाकरन ने यह दावा भी किया कि केवल अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि जनता भी उन लोगों को माफ नहीं करेगी जिन्होंने जयललिता के निधन के बाद पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री बनाने वाली महासचिव के साथ धोखाधड़ी की.  दोनों धड़ों के विलय के बाद ये ट्वीट आये.

दिनाकरन के करीबी विधायकों के राज्यपाल से मिलने पर प्रतिक्रिया देते हुए द्रमुक समेत विपक्षी दलों ने कहा कि पलानीस्वामी को अब बहुमत साबित करना चाहिए.
      
द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता एम के स्टालिन ने राव को लिखे पत्र में दावा किया कि 22 विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री पर विश्वास नहीं होने की बात कहते हुए राज्यपाल को एक जैसे पत्र दिये जाने के बाद अभूतपूर्व संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है.

द्रमुक नेता ने कहा कि विधायकों द्वारा राव को पत्र दिये जाने के बाद पलानीस्वामी की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार अपना बहुमत खो चुकी है.

उन्होंने कहा कि कर्नाटक में ऐसे ही एक मौके पर राज्य के राज्यपाल ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को सदन में बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था.
     
स्टालिन ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी उचित समय पर विश्वास मत को लेकर सही फैसला करेगी. पीएमके नेता अंबुमणि रामदॉस ने भी कहा कि विधायकों के विद्रोह के बाद पलानीस्वामी सरकार को बहुमत साबित करना होगा.

भाषा


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