वरिष्ठ अधिकारियों अमीन, बारोट ने गुजरात पुलिस से दिया इस्तीफा

Last Updated 17 Aug 2017 09:51:12 PM IST

कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों के आरोपी गुजरात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एन के अमीन और तरूण बारोट ने उच्चतम न्यायालय में अपना पद छोड़ने संबंधी हलफनामा देने के बाद आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया.


गुजरात पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी एन के अमीन और तरूण बारोट (फाइल फोटो)

पिछले साल पुलिस अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुये अमीन तापी जिले के पुलिस अधीक्षक के तौर पर सेवा दे रहे थे. बारोट को उनकी सेवानिवृत्ति के एक साल बाद पिछले साल अक्तूबर में वडोदरा में पश्चिम रेलवे के पुलिस उपाधीक्षक के तौर पर पुन: नियुक्ति दी गयी थी.

इन अधिकारियों के 'संदिग्ध ट्रेक रिकार्ड' के बावजूद उनकी पुन: नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक याचिका के मद्देनजर शीर्ष अदालत में हलफनामा दिया.      

अमीन ने सोहराबुद्दीन और इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में मुकदमे का सामना किया. बारोट इशरत जहां और सादिक जमाल मुठभेड़ मामले में आरोपी थे.

अमीन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में चल रहे मुकदमे को देखते हुये प्रदेश सरकार को किसी शर्मिदगी से बचाने के लिये उन्होंने और बारोट ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा देने का फैसला किया है.

अमीन ने पीटीआई-भाषा को बताया,  किसी शर्मिदगी से सरकार को बचाने के लिये हमने इस्तीफा देने का फैसला किया. मैं तापी जिले और गुजरात के लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं. 

बारोट ने कहा कि इस्तीफा देने के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था.  उन्होंने कहा, उच्चतम न्यायालय द्वारा इस्तीफा देने के लिये कहे जाने के बाद मैं और क्या कर सकता था. मैंने आज अपना इस्तीफा राज्य सरकार को भेज दिया. 

अमीन को पिछले वर्ष मुम्बई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में बरी कर दिया था जबकि बारोट इशरत जहां और सादिक जमाल मुठभेड़ दोनों मामलों में अभी आरोपों का सामना कर रहे हैं.

इससे पहले आज अमीन और बरोट ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि वे आज ही अपने पदों से इस्तीफा दे देंगे.



प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दोनों पुलिस अधिकारियों की ओर से पेश अधिवक्ता के बयान पर गौर किया और उनसे आज ही अपने पदों से इस्तीफा देने को कहा.

इसके बाद पीठ ने दोनों पुलिस अधिकारियों की पुन: भर्ती के खिलाफ पूर्व आईपीएस अधिकारी राहुल शर्मा की याचिका का निबटारा कर दिया. शर्मा ने अमीन और बारोट की पुन: नियुक्ति के खिलाफ दायर उसकी याचिका को खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी थी.

उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में शर्मा ने कहा था कि  दोनों अधिकारियों का संदिग्ध ट्रेक रिकार्ड ध्यान में होने के बावजूद ये नियुक्तियां की गयीं और ये उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है और यह जन विश्वास के सिद्धांतों का भी उल्लंघन हैं.

अमीन अगस्त 2007 में गिरफ्तार होने के बाद आठ वर्ष जेल में रहे. हालांकि उन्हें सोहराबुद्दीन मामले में बरी कर दिया गया था और उनके खिलाफ इशरत जहां मामला अभी अदालत में लंबित है.

इशरत मामले में मई 2015 में जमानत मिलने के बाद राज्य सरकार ने उनके निलंबन को वापस ले लिया था और उन्हें राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो, गांधीनगर में पुलिस उपाधीक्षक के रूप में फिर से बहाल कर दिया था.

इसके बाद उन्हें मोहिसागर जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया गया. 31 अगस्त 2016 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें इसी पद पर संविदा पर फिर से नियुक्त किया गया.

इशरत जहां और सादिक जमाल की दो कथित फर्जी मुठभेड में आरोपी बारोट पर आरोप तय किये गये और दोनों मामलों में उन्हें गिरफ्तार किया गया और जून 2015 में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

बारोट 2014 में सेवानिवृत्त हुए थे और वह अभी जेल में है. उनकी सेवानिृवत्ति के लगभग दो सालों के बाद राज्य सरकार ने उन्हें अक्टूबर 2016 में पश्चिम रेलवे,वडोदरा के पुलिस उपाधीक्षक के रूप में नियुक्त किया. उन्हें एक वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त किया गया था.

शर्मा ने इन अधिकारियों की नियुक्तियों को पिछले वर्ष नवम्बर में गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. गुजरात सरकार ने हालांकि अपने इस कदम का बचाव करते हुए अपने हलफनामे में दावा किया था कि इन दोनों अधिकारियों की नियुक्त संविदा पर है क्योंकि गोपनीय रिपोटरे में इनके प्रदर्शन को उल्लेखनीय आंका गया हैं.

 

 

भाषा


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