उच्चतम न्यायालय ने गुजरात शिवसेना नेता की हत्या के तीन दोषियों की उम्रकैद बरकरार रखी
Last Updated 26 Mar 2017 11:03:25 AM IST
उच्चतम न्यायालय ने गुजरात में शिवसेना के एक नेता की हत्या के तीन दोषियों को सुनायी गयी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है. शिवसेना नेता के छोटे भाई ने अल्पसंख्यक समुदाय की एक महिला से विवाह किया था.
फाइल फोटो |
न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक पीठ ने कहा कि हत्या के हथियार ‘तेजधार वाले चाकू’ की बरामदगी से सभी संदेहों से परे उनके वध की पुष्टि हुई है और उच्च न्यायालय के फैसले में किसी दखल की आवश्यकता नहीं है.
पीठ ने कहा, ‘यह तथ्य है कि आरोपियों की पहचान हो गयी है और आरोपी नं. एक से बरामद साक्ष्य से इसमें कोई संदेह नहीं होता कि सभी याचिकाकर्ताओं ने मृतक को रास्ते से हटाने के एक ही मकसद से हत्या को अंजाम दिया था.’
साथ ही पीठ ने कहा, ‘मौजूदा अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है और हमें उच्च न्यायालय के फैसले में दखल का कोई कारण नजर नहीं आया इसलिए यह अर्जी खारिज की जाती है.’
चार जुलाई 2004 को पांच लोग शिवसेना के तालुका अध्यक्ष रमेशभाई प्रजापति के घर में जबरन घुसे गये. घटना के वक्त रमेशभाई पत्नी और बच्चों के साथ सो रहे थे. आरोपियों ने उनकी गर्दन पर तेजधार चाकू से हमला किया जिसके चलते उन्हें गहरी चोट आयी थी.
घटना की गवाह प्रजापति की पत्नी थीं क्योंकि चीख पुकार सुनकर उनकी नींद खुल गयी थी और उन्होंने घटनास्थल से भागते लोगों को देखा था. बहरहाल, निचली अदालत ने पांच आरोपियों में से एक उमरभाई को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.
चारों दोषियों ने गुजरात उच्च न्यायालय में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी जिसने इनमें से एक को बरी करते हुए तीन व्यक्तियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. निचली अदालत ने समूह का नेतृत्व करने वाले सोएबभाई यूसुफभाई भरानिया सहित चार व्यक्तियों को हत्या और दंगे का दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी.
अदालत ने कहा कि मृतक के छोटे भाई ने इन व्यक्तियों के विरोध के बावजूद एक खास समुदाय की महिला से विवाह किया था. बहरहाल, निचली अदालत ने पांच आरोपियों में से एक उमरभाई को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था.
चारों दोषियों ने गुजरात उच्च न्यायालय में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी जिसने इनमें से एक को बरी करते हुए तीन व्यक्तियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. शीर्ष अदालत ने इन अर्जियों को खारिज करते हुए कहा कि प्रजापति की हत्या के इरादे से ही ये व्यक्ति उनके घर में घुसे में थे, जिन्हें उनकी पत्नी ने देखा भी था.
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