जाट समुदाय रविवार को 'काला दिवस' मनाएगा

Last Updated 26 Feb 2017 02:03:16 PM IST

आरक्षण के लिए बीते 28 दिनों से आंदोलन कर रहे जाट समुदाय ने 26 फरवरी (रविवार) को \'काला दिवस\' के रूप में मनाने का फैसला किया है.


(फाइल फोटो)

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) के तत्वावधान में जाट समुदाय के नेताओं ने उनकी मांगों को हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा पूरा न करने के विरोध में 'काला दिवस' मनाने का फैसला किया है.

हरियाणा में अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि जारी जाट आंदोलन के कारण पैदा हुए किसी भी प्रकार के हालात से निपटने के लिए वह तैयार हैं.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) राम निवास ने कहा, "हमने जिले के अधिकारियों को कानून-व्यवस्था बनाए रखने का आदेश दिया है. उन्हें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि जनजीवन प्रभावित न हो तथा सड़कों व राजमार्गो पर यातायात में बाधा न आए."

उन्होंने कहा, "पर्याप्त संख्या में अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है."

उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो कुछ जगहों पर यातायात मार्गो में परिवर्तन किया जाएगा.

राम निवास ने कहा, "उपायुक्त तथा पुलिस अधीक्षक जाट नेताओं के संपर्क में हैं, ताकि यह देखा जा सके कि कहां मार्ग में बदलाव करना है."

उन्होंने कहा कि जाट नेताओं से उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बातचीत की जा रही है और सरकार इसपर विचार कर रही है.

राज्य सरकार तथा जाट नेताओं के बीच बातचीत में मंगलवार को उस वक्त गतिरोध पैदा हो गया, जब हरियाणा सरकार ने यह स्पष्ट किया कि पिछले साल आंदोलन के दौरान हुई हिंसा को लेकर जाट नेताओं के खिलाफ जिन मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है, उसे वापस लेना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

हरियाणा में बीते 29 जनवरी से आंदोलन कर रहे जाट नेताओं की आठ मांगों में एक मांग जाट नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की भी है. उनके खिलाफ देशद्रोह सहित कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे.

जाट नेताओं ने दूसरे दौर की वार्ता सोमवार को पानीपत में हरियाणा के मुख्य सचिव डी.एस.धेसी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति के साथ की.

पिछले साल हुए जाट आंदोलन के दौरान घायल लोगों का मुआवजा बढ़ाने के संबंध में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा जाट नेताओं की कुछ मांगों से सहमति जताने के बाद भी बातचीत अधूरी रही.

हरियाणा के महाधिवक्ता ने जाट नेताओं से कहा कि जिन मामलों की जांच सीबीआई कर रही है, उसे राज्य सरकार वापस नहीं ले सकती.



अपनी मांगों के समर्थन में जाट समुदाय पूरे हरियाणा में प्रदर्शन कर रहा है.

उनकी मांगों में जाटों को आरक्षण, पिछले साल जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन को नौकरी, घायल लोगों को मुआवजा, आंदोलनकर्मियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना और जाटों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई शामिल है.

पिछले साल जाट आंदोलन के दौरान हिंसा में 30 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए थे.

पिछले साल फरवरी में हुई हिंसा के दौरान सैकड़ों करोड़ की सरकारी व निजी संपत्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.

आईएएनएस


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