न्यायालय ने बलात्कार मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की याचिका खारिज की

Last Updated 01 Jul 2016 06:49:34 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने 14 साल पुराने एक मामले में कथित बलात्कार पीड़िता की हैंडराइटिंग के और नमूने मांगे थे.


(फाइल फोटो)

अदालत ने कहा कि महिला के सिर्फ यह लिखने से कि ‘बाबाजी, आई लव यू’ का मतलब यह नहीं कि वह उपलब्ध है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ ने कहा कि पीड़िता ने कथित तौर पर जो पत्र लिखा उसका भावार्थ और भाषा कहीं से भी सहमति नहीं दिखाती है.

हालांकि, डेरा प्रमुख की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण ने कहा कि यह पत्र अहम साक्ष्य है और यह आरोपों के साथ असंगत है.उन्होंने कहा कि सीएफएसएल चंडीगढ़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उन्हें किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए और हैंडराइटिंग नमूनों की आवश्यकता है.

भूषण ने कहा, ‘कथित घटना 1999 की है और पत्र 2001 में लिखा गया। प्राथमिकी 2002 में दर्ज की गई. अधिक हैंडराइटिंग नमूने मेरे बचाव में मदद करेंगे.’भूषण ने कहा कि मामला 14 वर्षों से अधिक समय से खिंच रहा है.



इसपर पीठ ने वकील से पत्र की सामग्री को पढ़ने को कहा. पीठ ने कहा कि बलात्कार है या नहीं क्या इसे निचली अदालत में इस साक्ष्य के जरिए साबित किया जा सकता है.

भूषण ने सामग्री को पढ़ने के बाद कहा कि पत्र अनाम है और शिकायत उसके आधार पर दर्ज की गई है.पीठ ने इसके बाद कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि पीड़िता ने लिखा ‘बाबाजी, आई लव यू’, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उपलब्ध हूं.’

न्यायमूर्ति मिश्रा ने उन्हें फ्रांसीसी लेखक विक्टर ह्यूगो की याद दिलाई, जिनकी ‘सचिव 49 वर्षों तक अपने प्यार और अधीनता स्वीकार करने के बारे में उन्हें पत्र लिखती रही, लेकिन उन्होंने कभी उसका शीलभंग करने की कोशिश नहीं की.’

अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह मामले में हस्तक्षेप करने या इसपर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है.बलात्कार मामला फिलहाल पंचकूला में सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष लंबित है. महिला जिसने आध्यात्मिक गुरु पर बलात्कार का आरोप लगाया है वह हरियाणा के सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के आश्रम में रहती थी.

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की कथित बलात्कार पीड़िता की हैंडराइटिंग के और नमूने मांगने वाली याचिका को निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था.



 

 

 

 



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