जम्मू कश्मीर के लिए पिता के विजन में अगर कुर्सी बाधा बनी तो पद छोड़ दूंगी: महबूबा

Last Updated 28 May 2016 07:16:59 PM IST

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन के एजेंडा में की गई प्रतिबद्धताएं यदि वह पूरी नहीं कर पाती हैं तो पद छोड़ने से नहीं हिचकिचाएंगी.


जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)

महबूबा मुफ्ती ने कहा राज्य के लिए उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के विजन को पूरा करने में यदि कुर्सी 'बाधा' बनती है तो वह पद छोड़ने से नहीं हिचकिचाएंगी.

विधानसभा में मुख्यमंत्री के तौर पर अपने प्रथम संबोधन में उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 की रक्षा करना इस एजेंडा में शामिल है. उन्होंने राज्य में शांति बहाली के लिए आत्मनिर्णय की मांग का भी यह कहते हुए बचाव किया यह कोई पाप नहीं है और उनके साझा कार्यक्रम में इसके कई प्रावधानों को शामिल करने पर भाजपा की तरफ अंगुली नहीं उठाई जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ''यह कुर्सी मेरी कमजोरी नहीं है. जब तक मुझे लगेगा कि यह मेरी ताकत है, मैं इस कुर्सी पर बनी रहूंगी. यदि मुझे लगा कि यह मेरी कमजोरी बन गई है तो मैं पद छोड़ दूंगी.''

विपक्ष की आलोचना को बिंदुवार खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता का विजन जम्मू कश्मीर को उन मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए रास्ते तलाशने का था जिन मुश्किलों में राज्य फंसा हुआ है.

कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए अपनी पार्टी के आत्म निर्णय वाले फार्मूले पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भारत और पाकिस्तान दोनों के हित में है और इसकी ज्यादातर विशेषताएं 2005 में गठित प्रधानमंत्री के कार्यसमूह द्वारा की गई सिफारिशों का हिस्सा हैं. ''हम सभी ने इस पर (कार्यसमूह की सिफारिशों) हस्ताक्षर किया है.''

मुख्यमंत्री ने कहा, ''यदि यह राज्य समृद्ध होता है और यहां शांति बहाल होती है तो यह जम्मू कश्मीर, भारत, पाकिस्तान और इस उपमहाद्वीप के हित में है. यह दुनियाभर में संघर्ष के समाधान के लिए एक नजीर बन सकता है.''

उन्होंने कहा, ''भारतीय संविधान की धारा 370 जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा की गारंटी देती है. इस प्रावधान के तहत कश्मीर के लोगों की तरह जम्मू के लोगों को समान अधिकार मिले हुए हैं. हालांकि एक ऐसी धारणा बनाई गई है मानो यह प्रावधान जम्मू के खिलाफ है.''

भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों की वकालत करते हुए महबूबा ने कहा कि दोनों देशों के बीच किसी भी बैर से सबसे ज्यादा जम्मू-कश्मीर के लोग प्रभावित हैं.

उन्होंने कहा, '' जम्मू कश्मीर के लिए आवश्यक है कि पाकिस्तान के लिए संबंध अच्छे हों. गोलीबारी से सीमा के लोग प्रभावित होते हैं. जम्मू में सीमा के पास रह रहे लोग सबसे पहले प्रभावित होते हैं और फिर यह संकट अन्य सीमावर्ती इलाकों में फैल जाता है.''

पाकिस्तान के साथ शांति की पहल के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सराहना करते हुए महबूबा ने कहा, ''सीमा पर हमने युद्धविराम कर रखा था और वहां शांति थी एवं घुसपैठ में भी कमी आई थी. उस समय पाकिस्तान ने भी कहा था कि वह भारत के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देगा. दुर्भाग्य से वाजपेयी जी 2004 (चुनावों) वापस सत्ता में नहीं आए.''

मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान जाने के लिए वाजपेयी या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे लोगों के साहस की जरूरत है.



उन्होंने कहा, ''मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहते पाकिस्तान जाना चाहते थे. वे वहां से हैं. हालांकि पाकिस्तान के साथ संबंध अच्छे नहीं होने की वजह से वह वहां नहीं जा सके.''

पाकिस्तान के साथ सहयोग की गुंजाइश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ''उन्हें बिजली की जरूरत है जो हम उपलब्ध करा सकते हैं. हमें गैस की जरूरत है जो हम वहां से प्राप्त कर सकते हैं.''

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र ने दो एम्स अस्पतालों- एक अवंतीपुरा (कश्मीर) में और एक सांबा (जम्मू) में एवं दो स्मार्ट शहरों को मंजूरी दी है. स्मार्ट शहरों के लिए विस्तृत परियोजना रपट तैयार करने के लिए एक करोड़ रुपये का आरंभिक अनुदान मिला है.

विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने स्मार्ट शहरों पर मुख्यमंत्री की बात काटते हुए कहा, ''कृपया सदन को गुमराह न करें. आपने कहा कि दो स्मार्ट शहरों की मंजूरी दी गई है, लेकिन आदेश में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर से दो शहर इस प्रतिस्पर्धा प्रक्रिया से गुजरेंगे.''

हालांकि, महबूबा ने कहा, ''यह एक आश्वासन है जो मुझे प्रधानमंत्री से मिला है.''

 

 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment