72 घंटे के जम्मू बंद की शुरुआत हिंसा से

Last Updated 01 Aug 2015 05:58:46 AM IST

एम्स के मुद्दे को लेकर शुक्रवार को 72 घंटे के जम्मू बंद की शुरुआत हिंसक घटनाओं से हुई.


72 घंटे के जम्मू बंद की शुरुआत हिंसा से हुई.

आंदोलनरत एम्स समन्वय समिति के लोग, जिनमें बड़ी संख्या में वकील भी थे, जैसे ही कच्ची छावनी स्थित भाजपा कार्यालय के बाहर से एम्स के समर्थन और भाजपा के विरोध में नारेबाजी करते हुए निकले, भाजपा के कार्यकर्ता उनसे भिड़ गए. लोगों को तितर बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े.

हंगामा काफी देर तक चलता रहा. इस दौरान पत्थरबाजी के कारण वहां खड़ी कुछ कारें भी क्षतिग्रस्त हो गई. इसी तरह के हंगामे की स्थिति कच्ची छावनी इलाके में ही नहीं बल्कि शहर के बाहरी इलाकों में कई जगह देखने को मिली. जम्मू को एम्स न मिलने से नाराज लोगों ने भाजपा के खिलाफ जमकर गुस्से का इजहार किया. जगह-जगह टायर जलाए गए. उधर, लोगों की भारी नाराजगी को देखते हुए न केवल भाजपा कार्यालयों बल्कि भाजपा मंत्रियों, विधायकों व पार्टी के अन्य पदाधिकारियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. 

\"\"जम्मू को एम्स न मिलने के विरोध में 11 जून से एम्स समन्वय समिति आंदोलनरत है. समिति के कार्यकर्ता उसी दिन से क्रमिक भूखहड़ताल पर है. इस बीच, 19 जून को समिति ने 72 घंटे के जम्मू बंद का ऐलान किया था. लेकिन इससे पहले ही सूबे के उपमुख्यमंत्री डा. निर्मल कुमार सिंह, समाज कल्याण मंत्री बाली भगत तथा भाजपा के कई स्थानीय विधायकों ने तवी नदी पर बने धरना स्थल पर पहुंचकर समन्वय समिति के अध्यक्ष एडवोकेट अभिनव शर्मा व अन्यों के बीच लिखित तौर पर ऐलान कर दिया था कि 20 जुलाई तक जम्मू को एम्स मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

हालांकि 20 जुलाई के बाद भी एम्स समन्वय समिति के आंदोलनकारियों ने इंतजार किया. उन्हें भरोसा था कि भाजपा व केन्द्र सरकार दो चार दिन लेट ही सही एम्स बनवाने का ऐलान कर देगी. यहां तक कहा गया कि यदि केन्द्र सरकार 31 जुलाई से शुरू हो रहे 72 घंटे के जम्मू बंद से पहले सरकारी अधिसूचना जारी करके जम्मू को एम्स दिए जाने का ऐलान करती है तो इस बंद को टाल दिया जाएगा. लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया जिससे कि एम्स समन्वय समिति के आंदोलनकारी संतुष्ट होते और आखिरकार शुक्रवार को 72 घंटे का जम्मू बंद शुरू हो गया.

 इस बंद को शहर के हर व्यक्ति का समर्थन प्राप्त है. यहां के सभी छोटे बड़े बाजारों से लेकर परिवहन सेवा पूरी तरह से ठप रही. एम्स समन्वय समिति में विभिन्न व्यापारिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक व अन्य 70 से ज्यादा संगठन शामिल हैं. कांग्रेस और पैंथर्स पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी शुक्रवार को जगह-जगह आग जलाकर जम्मू बंद को अपना समर्थन दिया.

जम्मू में आम लोगों का आरोप है कि भाजपा हमेशा से जम्मू के साथ भेदभाव का राग अलापती आई है लेकिन अब सत्ता में बने रहने के लिए कश्मीरी नीति से समझौता कर बैठी है. भाजपा नेताओं ने कश्मीरी चश्मा पहन रखा है, इसलिए केन्द्र में तथा सूबे में भाजपा की सरकार होने के बावजूद जम्मू के हितों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बृहस्पतिवार को जम्मू कश्मीर के भाजपा नेताओं से बैठक करने के बाद यह ऐलान किया था कि जम्मू को एम्स जैसी सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी. नड्डा के इस ऐलान के बाद जम्मू भाजपा कार्यालय के बाहर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बम पटाखे फोड़े थे और मिठाइयां बांटी थीं. हालांकि इस पर समन्वय समिति के चेयरमैन एडवोकेट अभिनव शर्मा का कहना था कि भाजपा इस आंदोलन को विफल करने के लिए एड़ी चोटी की ताकत लगा रही है.



उन्होंने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री का बयान यह कहीं नहीं बताता कि जम्मू को एक पूर्णत: एम्स मिलेगा. शर्मा ने कहा कि जब तक केन्द्र सरकार एम्स के संबंध में अधिसूचना जारी नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने इस बात पर गहरा दुख व्यक्त किया कि बृहस्पतिवार को ही देश के हरदिल अजीज पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का अंतिम संस्कार किया गया और सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित है, इसके बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं ने जम्मू में एम्स को लेकर झूठा प्रचार करते हुए बम पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटीं.

जम्मू : एम्स स्थापना मुद्दे पर शुक्रवार को कोआर्डिनेशन कमेटी व भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया.
इस दौरान उनकी आपस में झड़पें भी हुई. प्रदर्शनकारियों को काबू करती पुलिस.

 

सतीश वर्मा
एसएनबी


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