मुफ्ती का बयान उत्तरी आयरलैंड फार्मूले की ओर इशारा !

Last Updated 03 Mar 2015 05:05:58 AM IST

जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री का पदभार संभलते ही मुफ्ती मोहम्मद सईद के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है.


मुफ्ती का बयान उत्तरी आयरलैंड फार्मूले की ओर इशारा.

मुख्यमंत्री का पद संभालते ही जम्मू-कश्मीर चुनाव शांतिपूर्ण हो जाने का श्रेय पाकिस्तान, अलगाववाद तथा आतंकवाद को दिए जाने संबंधी मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का बयान और अलगाववाद से मुख्यधारा में आए सज्जाद लोन का मंत्रिमंडल में शामिल होना कहीं उत्तरी आयरलैंड फार्मूले की ओर इशारा करता तो नहीं दिखाई दे रहा है.

सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार मुफ्ती मोहम्मद सईद ने उक्त बयान बगल में बैठे भाजपा के उपमुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह की मौजूदगी में दिया और फिर भाजपा की ओर से किसी प्रकार की कड़ी प्रतिक्रिया तक नहीं हुई उससे कई सवाल खड़े होते हैं.

बताया गया कि यह सब कुछ पहले से तय था कि मुफ्ती मोहम्मद सईद इस तरह का बयान दे सकते हैं. उसके पीछे की मंशा पाकिस्तान तथा अलगाववादियों के साथ बातचीत के लिए जमीन तैयार करना है. उत्तरी आयरलैंड की सरकार में मुख्यधारा तथा अलगाववाद दोनों तरह की सोच के लोग काम करते हैं.

उत्तरी आयरलैंड में बरसों बरस से ईसाई समुदाय के दो वर्गों में खूनी संघर्ष चलता आ रहा है. इसमें कैथोलिक ईसाई तथा प्रोटेस्टेंट ईसाई वर्ग के लोग हैं. कैथोलिक आयरलैंड के समर्थक हैं. जबकि प्रोटेस्टेंट यूनिनिस्ट कहे जाने वाले ग्रेट ब्रिटेन समर्थक हैं.

सन् 2003 में एक बार हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता मीरवाइज उमर फारूक ने उत्तरी आयरलैंड फार्मूले का जिक्र किया था, तब अन्य अलगाववादियों में हलचल तथा प्रतिक्रियाएं हुई थीं. बताया गया कि मीरवाइज उमर फारूक उत्तरी आयरलैंड भी होकर आए थे.     

लेकिन तब सूबे में डा. फारूख अब्दुल्ला की सरकार थी. डा. फारूख अब्दुल्ला किसी भी सूरत में अलगाववादी तथा आतंकवादियों से बातचीत के पक्षधर नहीं थे. लेकिन अब जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पीडीपी और भाजपा का मेल और सरकार में साझेदारी एक नया अध्याय दर्ज हुआ है.

भाजपा की हरचंद कोशिश रही कि सूबे में सरकार में उसकी मौजूदगी हो. बहुमत न मिलने के कारण उसे पीडीपी के साथ सौदेबाजी और समझौता करना पड़ा. लेकिन इसी के साथ अब यह माना जा रहा है कि पीडीपी और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच एकांत में जो कुछ चर्चाएं हुईं उसमें पाकिस्तान के साथ-साथ हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं को भी बातचीत की पटरी पर लाने के लिए माहौल बनाने हेतु कदम उठाया जाना शामिल है.

सूत्रों का कहना है कि उसी के मद्देनजर मुफ्ती मोहम्मद सईद का उक्त बयान आया. सज्जाद लोन के पिता अब्दुल गनी लोन एक अलगाववादी नेता के तौर पर माने जाते रहे. उनकी आतंकवादियों ने कश्मीर के ईदगाह मैदान में 21 मई 2002 को हत्या कर दी थी. सूबे की सरकार में मंत्री बने सज्जाद लोन जहां अलगाववादी परिवार से ताल्लुक रखते हैं वहीं उनके ससुर अमानुल्ला खान पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में नंबर एक के अलगाववादी नेता माने जाते हैं. वह भारत सरकार की मोस्ट वांटेड सूची में भी दर्ज है.

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के जरिए भाजपा इस सरहदी सूबे में इतिहास के पन्नों में अप्रत्याशित कार्य दर्ज कराने जा रही है. इसका खुलासा आने वाले दिनों में होता रहेगा.

सतीश वर्मा
एसएनबी


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