प. बंगाल : कांग्रेस का विजय रथ नहीं रोक पाए विरोधी दल

Last Updated 19 Apr 2014 05:30:46 AM IST

पश्चिम बंगाल में मालदा और मुर्शिदाबाद ऐसे दो जिले हैं जहां कांग्रेस के विजय रथ को रोकने में अभी तक विरोधी दल कामयाब नहीं हुए हैं.


प. बंगाल : कांग्रेस का विजय रथ नहीं रोक पाए विरोधी दल

इन दोनों जिलों में अलग-अलग व्यक्तित्व का अपना जोर है. जीवित और मरणोपरांत मालदा में पूर्व रेलमंत्री गनीखान के नाम पर कांग्रेस जीत दर्ज करती आ रही है जबकि रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी मुर्शिदाबाद जिले के कांग्रेस के बेताज बादशाह कहे जाते हैं. चौधरी के रहते मुर्शिदाबाद में वामो अपना लाल झंडा फहरा नहीं पाया है.

2009 आम चुनाव तथा 2011 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और तृमूकां साथ-साथ मिलकर लड़े थे लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार तृमूकां के चुनाव मैदान में उतर जाने से मालदा और मुर्शिदाबाद में कांग्रेस को सरपट दौड़ने में मुश्किलें आ सकती हैं क्योंकि दोनों जिलों के कई कांग्रेसी नेता और समर्थक  तृमूकां में शामिल हो चुके हैं.

मुर्शिदाबाद की तीन लोस सीटों में से जंगीपुर से 2009 में  प्रणव मुखर्जी दो लाख से अधिक मतों से जीते लेकिन उनके राष्ट्रपति बनने के बाद जंगीपुर लोस उपचुनाव में उनके पुत्र अभिजीत मुखर्जी करीब ढाई हजार से मतों से जीत दर्ज कर पाए. इस बार भी जंगीपुर से निवर्तमान कांग्रेस सांसद अभिजीत मुखर्जी चुनाव मैदान में हैं और अपने जीत के प्रति आस्त हैं. अभिजीत मुखर्जी अपने पिता द्वारा और उसके बाद खुद के द्वारा जंगीपुर के विकास के लिए किए गए कामों का हवाला दे कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

बहरमपुर के सांसद और कांग्रेस प्रत्याशी अधीर रंजन चौधरी अपनी जीत के प्रति आस्त हैं लेकिन एक समय उनके विस्त सिपहसलार व कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा देकर तृमूकां में शामिल होने वाले हुमायूं कबीर के कारण बहरमपुर में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. बहरमपुर में श्री चौधरी के खिलाफ तृणमूल प्रत्याशी गायक व संगीतकार इंद्रनील सेन चुनाव मैदान में हैं. इसके अलावा मुर्शिदाबाद की तीनों लोस सीटों पर वामो समर्थित माकपा तथा  भाजपा प्रत्याशी मैदान में हैं.

\"\"मुर्शिदाबाद जिले की तीन लोकसभा सीटों में मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के कारण कांग्रेस प्रत्याशी अब्दुल मन्नान हुसैन के सामने बड़ी चुनौती है. पिछली लोकसभा चुनाव में अधीर रंजन चौधरी से मतभेद के कारण मन्नान हुसैन की जीत ही संदिग्ध हो गयी थी लेकिन बाद में अधीर रंजन चौधरी के समक्ष गलती स्वीकार करने के बाद मन्नान को बहरमपुर के सांसद का समर्थन मिला और उन्हें 36 हजार से अधिक मतों से माकपा प्रत्याशी पर जीत हासिल हुई. मन्नान को 4 लाख 96 हजार से अधिक मत मिले थे. लेकिन इस बार सत्ताधारी तृमूकां का समर्थन प्राप्त नहीं है बल्कि तृमूकां प्रत्याशी मोहम्मद अली मैदान में हैं.

तृमूकां प्रत्याशी  के मैदान में होने से मत विभाजन की तीव्र संभावना है जिसके कारण माकपा प्रत्याशी बदरुद्दुजा खान जीत की उम्मीद रख रहे हैं. लेकिन मुर्शिदाबाद सीट से जीत का  हैट्रिक बना चुके मन्नान हुसैन जीत के प्रति आस्त हैं क्योंकि उनके सिर पर अधीर रंजन चौधरी का हाथ है. उन्होंने अपने सांसद कोटे की राशि इलाके के विकास के कार्य में लगाई हैं. भाजपा के सुजीत कुमार घोष भी मैदान में हैं. मुर्शिदाबाद जिले में हर चुनाव से पूर्व और चुनाव नतीजे के बाद हिंसा होती रही है. इस बार भी बहरमपुर के जलंगी में एक तृमूकां समर्थक की हत्या हो चुकी है.

दूसरी ओर पूर्व रेलमंत्री व मालदा से कांग्रेस के पूर्व सांसद गनीखान चौधरी की मृत्यु के आठ साल बाद भी मालदा में गनीखान चौधरी का जादू बरकरार है और इस जादू के बल पर उसके परिवार के सदस्य इस लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर जीत रहे हैं. मालदा लोकसभा सीट के पुनर्परिसीमन के बाद अब मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण हो गयी है और इन दोनों लोकसभा सीटों से गनीखान चौधरी के परिवार के सदस्य सांसद हैं.

मालदा (दक्षिण) से गनी खान चौधरी के भाई व कांग्रेस सांसद अबू हासेम खान चौधरी मैदान में हैं तो उनकी भांजी व कांग्रेस सांसद  बेनजीर नूर मालदा (उत्तर) से चुनाव मैदान में हैं. लेकिन इस बार गनीखान चौधरी के परिवार के इन दोनों सदस्यों के लिए विरोधियों, खासकर तृमूकां से चुनौती मिल रही है. मालदा में आज भी गनीखान का करिश्मा है लेकिन उनके दो पुराने सहयोगी कृष्णोन्दु राय चौधरी और सावित्री मित्र पार्टी  से इस्तीफा देकर ममता बनर्जी की सरकार में मंत्री हैं.

सावित्री मित्र मालदा जिला के अड़ायडांगा से 1991 से 2011 तक कांग्रेस विधायक थीं लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने ममता बनर्जी का दामन थाम लिया और मानिकचक से तृमूकां विधायक चुनी गई. कृष्णोन्दु नारायण चौधरी इंग्लिश बाजार के कांग्रेस विधायक पद व पार्टी से इस्तीफा देकर उपचुनाव में तृमूकां के टिकट पर चुने गए और ममता बनर्जी सरकार में मंत्री बन गए. इन दोनों के मंत्री बन जाने से मालदा में तृमूकां संगठन को विस्तार का मौका मिला है.

तृमूकां समर्थित मालदा (उत्तर) से कांग्रेस प्रत्याशी बेनजीर नूर ने 2009 में वामो समर्थित माकपा प्रत्याशी को पराजित किया था. नूर को चार लाख 40 हजार से अधिक मत मिले थे जबकि माकपा प्रत्याशी को तीन लाख 80 हजार से अधिक मिले थे. भाजपा प्रत्याशी को 61 हजार से अधिक मत मिले थे. लेकिन गठबंधन नहीं होने के कारण  इस बार कांग्रेस की बेनजरी नूर के खिलाफ  संगीतकार व गायक सौमित्र राय को ममता बनर्जी ने मैदान में उतार दिया है. दूसरी ओर हबीबपुर के माकपा विधायक खगेन मुमरु को माकपा का प्रत्याशी बनाया गया है. भाजपा प्रत्याशी शुभाकृष्ण गोस्वामी चुनाव मैदान में हैं.

मालदा (उत्तर ) में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है हालांकि बेनजरी नूर को अपनी जीत पर पूरा विास है. वह तेज धूप में भी प्रचार में कोई कमी नहीं बरत रही हैं. उल्लेखनीय है कि 2009 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने बेनजीर नूर के लिए प्रचार किया था. इस बार भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी बेनजीर नूर और अबू हासेम खान चौधरी के लिए चुनावी प्रचार में हिस्सा लेने वाले हैं.

दीपक सान्याल
एसएनबी


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