जे.पी. नड्डा : साधारण कार्यकर्ता से पार्टी अध्यक्ष बनने तक का सफर

Last Updated 20 Jan 2020 05:25:57 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सोमवार को नया अध्यक्ष चुने गए जगत प्रकाश नड्डा यानी जे.पी. नड्डा की जड़ें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और इसके अनुषांगिक संगठनों से जुड़ी हैं।


भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा(फाइल फोटो)

नड्डा (59) ने अपने संरक्षक और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का स्थान लिया है। नड्डा अभी तक भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष थे।

भाजपा नेताओं का मानना है कि नड्डा ने अपनी सहजता और संगठनात्मक कौशल के जरिए राष्ट्रीय राजनीति में जगह बनाने की कोशिश की।

वह हिमाचल प्रदेश से आते हैं, जहां से लोकसभा की 543 सीटों में से केवल चार सीटें हैं। इसके बाद भी वह 2014 की मोदी सरकार में मंत्री रहे। वह पर्यावरण, स्वास्थ्य और कानून मंत्रालय संभाल चुके हैं।

उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कार्यकर्ता के तौर पर की, और उन्होंने अपने कौशल के जरिए विश्वविद्यालय से लेकर राज्य की राजनीति तक में पैठ बनाने में कामयाबी हासिल की।

राष्ट्रीय राजनीति में उनका प्रवेश वर्ष 2010 में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी के कार्यकाल के दौरान उस वक्त हुआ, जब गडकरी ने उन्हें अपनी नई टीम में स्थान दिया। वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए।

नड्डा का जन्म दो दिसंबर, 1960 को बिहार के पटना में हुआ। जेपी नड्डा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में आरंभ की और बाद में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने शिमला स्थित हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और विधायी कानून में स्नातक (एलएलबी) की डिग्री हासिल की।

1978 में एबीवीपी के छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हुए नड्डा ने 1991 से 1994 तक पार्टी की युवा शाखा 'भारतीय युवा मोर्चा' में भी गडकरी और शाह के साथ काम किया था।

उनकी पत्नी मल्लिका नड्डा भी एबीवीपी की कार्यकर्ता रही हैं। वह भी वर्ष 1988 से 1999 तक एबीवीपी की राष्ट्रीय महासचिव रहीं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में इतिहास की शिक्षक मल्लिका वर्तमान में विश्वविद्यालय के दिल्ली परिसर में कार्यरत हैं।

राज्य की पिछली भाजपा सरकार (2007-12) में नड्डा और तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बीच मतभेद को लेकर उन्हें 2010 में वन मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वर्ष 2012 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए। वर्ष 1993 में नड्डा पहली बार हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर (सदर) से विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1998 में वह पुन: जीते और राज्य के स्वास्थ मंत्री बने।

वर्ष 2003 में वह विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन 2007 में वह एक बार फिर चुनाव जीतकर हिमाचल प्रदेश के वन मंत्री बने।

वन मंत्री के रूप में नड्डा ने वन अपराधों को रोकने के लिए वन पुलिस थानों की स्थापना की, सामुदायिक पौधरोपण अभियान शुरू किया, क्वींस ऑफ हिल्स यानी शिमला में खत्म हो रहे हरित कवर को बढ़ाने बड़े पैमाने पर देवदार के पौधरोपण कराया और जंगलों में तालाब बनवाए।

वर्ष 2014 में राजनाथ सिंह के गृहमंत्री बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र नड्डा का नाम अध्यक्ष पद के लिए सामने आया था। बाद में नड्डा को पहले मंत्रिमंडल विस्तार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया।

नड्डा को भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि एक छोटे से राज्य से संबंध रखने वाले किसी नेता के देश की सबसे बड़ी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर आज यह गौरव का क्षण है।

नड्डा के पिता रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं और वह इस समय बिलासपुर शहर में रहते हैं।

 

आईएएनएस
शिमला


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