1984 सिख विरोधी दंगा मामले में यशपालसिंह को फांसी

Last Updated 20 Nov 2018 05:58:33 PM IST

वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगों के दौरान दो लोगों की हत्या करने के जुर्म में अदालत ने एक दोषी यशपाल सिंह को फांसी की सजा सुनाई जबकि दूसरे दोषी नरेश सहरावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।


फैसले के बाद पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर खुशी का इजहार करते पीड़ितों के परिजन।

यह पहला मामला है जिसमें सिख विरोधी दंगे के दोषी को फांसी की सजा दी गई हो। फैसला 34 साल की लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद आया है। फैसले की जानकारी मिलने के बाद पीड़ित परिवार ने खुशी का इजहार किया। सुरक्षा कारणों से फैसला तिहाड़ जेल में सुनवाया गया।
भाजपा ने केंद्र में सत्ता संभालते ही दंगे की जांच अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग को सौंप दी थी। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर दंगे की जांच एसआईटी को सौंपी गई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दंगे के सभी मामलों की जांच एसआईटी से करने को कहा था। एसआईटी ने 60 मामले हाथ में लिए थे जिसमें से पांच मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

अदालत ने 14 नवम्बर को दोनों अभियुक्तों को हत्या, हत्या की कोशिश, लूटपाट, आगजनी एवं अन्य अपराधों के तहत दोषी करार दिया था। अभियुक्तों को सजा सुनाए जाने पर बहस के बाद अदालत ने 15 नवम्बर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एसआईटी को इस मामले की जांच वर्ष 2015 में सौंपी गई थी। उसने अदालत से दोनों अभियुक्तों के लिए फांसी की सजा देने की मांग की थी।

  

मृतक हरदेव सिंह के भाई संतोष सिंह ने रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष एक हलफनामा दायर कर शिकायत की थी। उनके बयान दर्ज होने के बाद जांच एसआईटी को दी गई। इसको लेकर वसंत कुंज थाने में वर्ष 1993 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, लेकिन पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में उसे 1994 में उसे बंद कर दिया था।

भारी जुर्माना भी लगाया
न्यायाधीश अजय पांडे ने दोपी यशपाल को फांसी की सजा सुनाई है और उसपर 35 लाख रुपए का जुर्माना भी किया है। उन्होंने नरेश सहरावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और उसपर भी 35 लाख रुपए का जुर्माना किया गया है। दोनों  की पहचान गवाह संतोष सिंह, कुलदीप सिंह व संत सिंह ने की थी। तीनों गवाहों ने अदालत से कहा था कि 1 नवम्बर, 1984 को दोनों ने घर को आग के हवाले कर दिया जिससे अवतार सिंह व हरदेव सिंह की मौत हो गई थी।

तिहाड़ में सुनाया फैसला
पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय पांडे ने सजा के लिए मंगलवार दोपहर दो बजे का वक्त निर्धारित किया था। उस वक्त पुलिस ने उनसे कुछ कहा और वे उठकर चले गए। जानकारी मिली की सजा सुनाए जाने को लेकर बैठक हुई और जज साहब फैसला सुनाएंगे। बाद में पता चला कि गत दिनों अभियुक्तों पर हुए हमले के कारण फैसला अदालत में नहीं सुनाया जाएगा। जज साहब तिहाड़ जेल गए हैं और फैसला वहीं सुनाया जाएगा।

 

सहारा न्यूज ब्यूरो
नयी दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment