लोकसभा ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र विधियां विशेष उपबंध दूसरा संशोधन विधेयक को मंजूरी दी
लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र विधियां विशेष उपबंध दूसरा संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी जिसमें दिल्ली अतिक्रमण एवं अनधिकृत निर्माण के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षा को 31 दिसंबर 2020 तक जारी रखने का प्रस्ताव किया गया है.
आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी (फाइल फोटो) |
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अगर इस विधेयक को पारित नहीं किया गया तो दिल्ली में अव्यवस्था पैदा हो जाएगी, ऐसे में इस विधेयक का पारित किया जाना जरूरी है. मंत्री ने कहा कि यह विधेयक 2014 वाले विधेयक की तरह है, लेकिन इसमें रेहड़ी-पटरी वालों के प्रावधान को हटाया गया है क्योंकि इनके लिए अलग कानून है.
पुरी ने दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों और वाणिज्यिक गतिविधियों के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों और हम सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.
उन्होंने कहा कि केंद्र दिल्ली सरकार, डीडीए तथा दूसरी सभी संबंधित एजेंसियों के साथ संपर्क करेगी ताकि दिल्ली में अधिकृत निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सके.
कांग्रेस के सदस्यों पर निशाना साधते हुए पुरी ने कहा कि कांग्रेस कई वर्षो तक दिल्ली और केंद्र की सरकार में रही, लेकिन उसने अव्यवस्था की इस स्थिति को दूर नहीं किया.
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया है कि दिल्ली में अनधिकृत निर्माण से जुड़ा पूरा ब्यौरा तैयार करने में उसे दो साल का समय लगेगा. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.
विधेयक के कारण और उद्देश्यों में कहा गया है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र में पिछले कई वर्षों में असाधारण रूप से वृद्धि दर्ज की गई है जिसके कारण आधारभूत संरचना और संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है. इसके कारण अन्य बातों के साथ आवास, वाणिज्य स्थलों और अन्य सुविधाओं के लिये सतत रूप से मांग में बढ़ोतरी हो रही है. इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक भूमि का अतिक्रमण, झुग्गी झोपड़ियों में बढ़ोतरी, अनधिकृत निर्माण में वृद्धि, आवासीय क्षेत्रों का वाणिज्यिक उपयोग, आवास की अपर्याप्त उपलब्धता की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं.
विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र में अनधिकृत विकास के कुछ रूपों की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षा जारी रखने के लिये 2011 के अधिनियम की विधि मान्यता की अवधि को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है. इसके तहत सरकार, शहरी स्थानीय निकायों और इससे जुड़े अन्य संगठनों को अनधिकृत विकासों के संबंध में योजना के सुव्यवस्थित कार्यान्वयन के लिये नीतियों, नियमों और रणनीतियों के लिये संतुलित मत बनाने का प्रावधान किया गया है.
इसके तहत दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र विधि (विशेष उपबंध) दूसरा अधिनियम 2011 के उपबंधों का 1 जनवरी 2018 से 31 जनवरी 2020 तक तीन वर्ष के लिये विस्तार करना आवश्यक है. यह विधेयक इसी मकसद से लाया गया है.
इससे पहले विधेयक पर चर्चा की शुरआत करते हुए भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इस विधेयक में दिल्ली में कई कालोनियों, वाणिज्यिक स्थलों, ऐतिहासिक स्थलों, धार्मिक स्थानों और पुरानी दिल्ली तथा करोल बाग जैसे इलाकों की सुरक्षा की बात शामिल की गई है. यह विधेयक बहुत जरूरी है ताकि दिल्ली में सीलिंग को रोका जा सके.
भाजपा के रमेश विधूड़ी ने दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों के पक्की नहीं होने और गैरकानूनी निर्माण के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार भी इस मामले में पूरी तरफ विफल रही है.
दिल्ली में पानी के बिल की दर में बढ़ोतरी का मुद्दा उठाते हुए विधूड़ी ने कहा कि जो लोग मुफ्त पानी और सस्ती बिजली का वादा करके सत्ता में आए, वे ही इस तरह के जनविरोधी फैसले कर रहे हैं.
बीजद के नागेंद्र कुमार प्रधान ने कहा कि इस विधेयक को पारित करने के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि राष्ट्रीय राजधानी के विकास के लिए किस तरह से केंद्र और दिल्ली सरकार तालमेल बैठाकर काम करें.
भाजपा के प्रवेश वर्मा ने भी दिल्ली अनधिकृत कालोनियों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार आने के बाद दिल्ली में एक भी कालोनी को पक्का नहीं किया जा सका. उन्होंने कहा कि अनधिकृत कालोनियों और वाणिज्यिक गतिविधियों को सुरक्षित रखने के लिए तारीखे बढ़ाने की बजाय कोई नीति बननी चाहिए.
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय इस विधेयक पर बोलने के लिए खड़े हुए, लेकिन केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े के कथित बयान को लेकर विरोध दर्ज कराते हुए उन्होंने अपनी बात नहीं रखी. उन्होंने कहा कि संविधान पर सरेआम हमला किया गया है और ऐसे में वह विधेयक पर नहीं बोल सकते.
जदयू के कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि दिल्ली में उप राज्यपाल और सरकार के बीच अक्सर असहमति देखने को मिलती है और अब तो यह मामला उच्चतम न्यायालय में चला गया है. ऐसे में दिल्ली के लोगों के विकास के लिए जरूरी है कि यहां सभी लोग मिलकर काम करें.
इंडियन नेशनल लोक दल के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अनधिकृत निर्माण के मामलों में सिर्फ गरीब लोगों और छोटे कारोबारियों पर कार्रवाई होती है, जबकि कई स्थानों पर सरकारी एजेंसियों ने निर्माण के संदर्भ में कानून का उल्लंघन किया है. दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों और निर्माण के लिए स्पष्ट नीति होनी चाहिए.
राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने हेगड़े के कथित बयान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि दिल्ली देश की धड़कन है और यहीं पर बाबासाहेब ने संविधान बनाया था. आज उसी संविधान का अपमान किया गया है.
माकपा के मोहम्मद सलीम ने कहा कि विधेयक को जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए और पहले सदन को व्यवस्थित किया जाना चाहिए. उन्होंने भी हेगड़े के कथित बयान का हवाला दिया.
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