सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील चिदंबरम बोले, लोकतंत्र का मखौल बना रहे हैे उपराज्यपाल

Last Updated 10 Nov 2017 10:17:19 AM IST

आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के उपराज्यपाल पर लोकतंत्र का मखौल बनाने का आरोप लगाते हुये कहा कि वह या तो निर्वाचित सरकार के फैसले ले रहे हैं या बगैर किसी अधिकार के उन्हें बदल रहे हैं.


फाइल फोटो

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार ने दलील दी कि सरकार और उपराज्यपाल के बीच किसी विषय पर मतभेद होने की स्थिति में राष्ट्रपति, या मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद को ही अधिकार प्राप्त है. यह संविधान पीठ दिल्ली के उपराज्यपाल को प्रमुखता प्राप्त होने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ आम सरकार की अपीलों पर सुनवाई कर रही है.
    
संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति अशोक भूषण शामिल हैं.
     
अरविन्द केजरीवाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्त पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार कानून और इसके कामकाज के नियमों सहित विधायी प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि उपराज्यपाल को सहयोग और परामर्श से ही काम करना होगा और मतभेद होने की स्थिति में राष्ट्रपति फैसला लेंगे और इसके अलावा कोई तीसरा रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल के पास कोई अधिकार नहीं है.


    
उन्होंने  कहा, लेकिन हो क्या रहा है कि उपराज्यपाल फैसले ले रहे हैं और निर्वाचित सरकार के फैसलों को उलट रहे हैं. उपराज्यपाल जो कर रहे हैं वह लोकतंत्र का मखौल है. 

मतभेद होने पर मामला राष्ट्रपति के पास भेजने के बारे में चिदंबरम ने कहा कि सिर्फ वे ही मामले, जिन्हें आगे बढाया जाना होता है, राष्ट्रपति के पास भेज जाने चाहिए, अन्यथा राष्ट्रपति के पास सिर्फ दिल्ली के ही प्रशासनिक मुद्दे फैसले के लिये होंगे.  इसके बाद, उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले से उत्पन्न परिस्थिति पर टिप्पणी करते हुये कहा, अब, प्रत्येक मामले में , उपराज्यपाल कह रहे हैं कि आपके पास अधिकार नहीं है और मैं ही फैसला करूंगा. 
    
इस मामले में न्यायालय अब 14 नवंबर को आगे सुनवाई करेगा.

 

भाषा


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