दिल्ली में लोगों के लिए जमीन से ज्यादा कचरा मौजूद है : उच्च न्यायालय

Last Updated 23 Jun 2017 10:09:19 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शहर के विभिन्न हिस्सों में पड़े कचरे के ढेर की अखबारों में छपी तस्वीरों का हवाला देते हुए आज कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में लोगों के लिए जितनी जमीन है, उससे ज्यादा कचरा है.


दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

अदालत ने कहा कि शहर को साफ करने के लिए काम करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिए नाकि धन, जैसा तीनों नगर निगम दावा कर रहे हैं. तीनों निगमों ने दिल्ली सरकार को चौथे वित्त आयोग की सिफारिशें लागू नहीं करने का जिम्मेदार बताया है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्तिगीता मित्तल और न्यायमूर्तिसी. हरी शंकर ने कहा कि  क्यिान्वयन के बारे में बातें करने से पहले   अदालत के आदेश को समझना चाहिए.
     
पीठ ने 21 जून को हुई सुनवायी के संदर्भ में यह बात कही. उसपर अदालत ने कहा था, लगता है तीनों नगर निगमों के आयुक्तों ने आदेश का अध्ययन नहीं किया है.

पीठ ने तीनों निगमों की ओर से पेश हुए अवर सॉलीसीटर जनरल संजय जैन से कहा कि चौथे वित्त आयोग की सिफारिशें लागू करने के आदेश का दिल्ली सरकार ने पालन नहीं किया है, ऐसे में अवमानना की याचिका दायर की जा सकती है.



आयोग का गठन 2009 में स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति का जायजा लेने और करों, कर्तव्यों, टोल और दिल्ली सरकार द्वारा लगाये  जाने वाले उपकरों के बंटवारे पर सिफारिशें देने के लिये किया गया है.

अदालत ने कहा, स्थानीय निकाय जिस तेजी से अनियमित निर्माण को वैध करार दे रहे हैं, जल्दी ही वित्तीय रूप से खस्ता हाल हो जाएंगे.

भाषा


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