निगम के बाद भाजपा की नजर सरकार पर
दिल्ली नगर निगम चुनाव में हैट्रिक लगाने के बाद भाजपा अति उत्साहित है.
निगम के बाद भाजपा की नजर सरकार पर |
अब उसकी नजर दिल्ली में सरकार बनाने पर टिकी है. दरअसल आप के 21 विधायक ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में फंसे हैं. इस मामले को लेकर चुनाव आयोग ने फैसला सुरक्षित रखा है.
चुनाव आयोग के फैसले के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही 21 विधायकों की सदस्यता जा सकती है. इसके बाद जोड़तोड़ कर भाजपा दिल्ली में सरकार बनाने की कवायद तेज कर सकती है.
आप सरकार सियासी संकट में फंस गई है. गोवा, पंजाब और राजौरी गार्डन उपचुनाव हारने के बाद नगर निगम चुनाव में करारी शिकस्त मिली है.
इसके बाद भाजपा की बांछे खिल गई है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता तजेंद्र पाल सिंह बग्गा ने ट्वीट कर कहा है कि सुनने में आया है कि निगम चुनाव हारने के बाद आप के 34 विधायकों ने केजरीवाल से इस्तीफा मांगा है.
दूसरी तरफ आप विधायक अलका लांबा ने ट्वीट कर कहा है कि पद का प्रलोभन देकर आप विधायकों को भाजपा तोड़ने की कोशिश कर रही है.
बहरहाल इस ट्वीट में कितनी सचाई है, यह कहना मुश्किल है, लेकिन एक बात तो तय है कि ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में फंसे आप के 21 विधायकों की सदस्यता कभी भी जा सकती है.
आप के 67 विधायकों में से बवाना के विधायक वेद प्रकाश ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. राजौरी गार्डन उप विधानसभा चुनाव आप हार चुकी है. संदीप कुमार और आसिम अहमद पार्टी से निलंबित हैं. पार्टी विधायक देवेंद्र सहरावत भी निष्कासित किए जा चुके हैं. तिमारपुर से आप विधायक पंकज पुष्कर योगेंद्र यादव के पक्ष में खड़े हैं.
ऐसे में यदि 21 विधायकों की सदस्यता चली जाएगी तो आप के पास केवल 40 विधायक बचेंगे. दिल्ली सरकार में बने रहने के लिए किसी राजनीतिक दल के पास 36 विधायकों की जरूरत होती है.
इस बीच विपक्ष के नेता फ्लोर टेस्ट की मांग करते हैं तो केजरीवाल को बाकी बचे विधायकों का भरोसा जीतना बड़ी चुनौती होगी.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी भी पहले ही कह चुके हैं कि आप के 30 विधायक उनके संपर्क में हैं. ऐसे में सरकार के भविष्य को लेकर कयास लगाया जाने लगा है.
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