सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट का कड़ा निर्देश, फीस पर मनमानी नहीं

Last Updated 24 Jan 2017 06:37:44 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर प्राइवेट स्कूलों ने डीडीए से जमीन ली है तो उन्हें नियम का पालन करना होगा और स्कूल को फीस बढ़ाने से पहले सरकार की इजाजत लेनी होगी.


स्कूल अपनी मर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकते (फाइल फोटो)

अन्यथा डीडीए की जमीन वापस करनी होगी. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्राइवेट स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.

चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, जस्टिस एनवी रमण और धनंजय चन्द्रचूड की बेंच याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिका में मेरिट नहीं है और इसे खारिज किया जाता है.
हाई कोर्ट का आदेश सही बताया : सुप्रीम कोर्ट में डीडीए की जमीन पर बने गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों की ओर से हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी.

हाई कोर्ट ने 19 जनवरी 2016 को आदेश पारित किया था और कहा था कि प्राइवेट अनएडेड स्कूल जिन्हें डीडीए ने भूमि आवंटित की हुई है उन्हें फीस बढ़ाने से पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी.

दिल्ली हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि स्कूल को मुनाफाखोरी और व्यवसायीकरण की इजाजत नहीं दी जा सकती. अदालत ने कहा कि जहां तक वैसे अनएडेड मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल जिन्हें डीडीए द्वारा लैंड अलॉट की है, का सवाल है तो हम साफ करते हैं कि वह अलॉटमेंट लेटर की शर्तों को मानने के लिए बाध्य हैं.

डीडीए के आवंटन पत्र और लीज डीड में यह शर्त है कि स्कूल शिक्षा निदेशक की अनुमति के बिना फीस नहीं बढ़ाएगा.

समयलाइव डेस्क/एजेंसियां


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