नर्सरी दाखिला: हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को स्कूलों को बेहतर बनाने को कहा

Last Updated 20 Jan 2017 09:51:52 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी सरकार के उस सर्कुलर पर रोक लगा दी जिसमें गैर-सहायता प्राप्त निजी अल्पसंख्यक स्कूलों से कहा गया था कि वे पड़ोस या दूरी के आधार पर ही दाखिला फॉर्म स्वीकार करें.




दिल्ली हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

न्यायालय ने कहा कि गैर-सहायता प्राप्त निजी अल्पसंख्यक स्कूल अपनी प्रक्रियाएं तय करने के लिए स्वतंत्र हैं और उनसे अलग तरीके से सलूक करना चाहिए. न्यायालय ने दिल्ली सरकार से यह भी कहा कि निजी संस्थानों पर दाखिले को लेकर अपने नियम-कायदे थोपने की कोशिश करने से पहले उसे अपने स्कूलों को बेहतर बनाना चाहिए.

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, \'\'आपके (दिल्ली सरकार के) स्कूलों की गुणवत्ता कम है, जहां लोग नि:शुल्क भी नहीं पढ़ना चाहते. उनकी हालत दयनीय है, जहां शिक्षक भी नहीं आते.\'\'

उन्होंने सवाल किया कि दिल्ली सरकार अपने स्कूलों के स्तर को ऊपर क्यों नहीं उठा रही और निजी स्कूलों की स्वायत्ता कम करने की कोशिश क्यों कर रही है.

न्यायालय ने कहा, \'\'मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है. निजी स्कूलों के कामकाज में दखल से पहले आप अपने स्कूलों के स्तर को उठाएं. आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि जमीनी स्तर पर कोई भी माता-पिता अपने बच्चों का दाखिला आपके स्कूल में नहीं कराना चाहते.\'\'

नर्सरी में दाखिले के नियमों के बाबत गैर-सहायता प्राप्त निजी अल्पसंख्यक स्कूलों के लिए जारी सर्कुलर पर रोक लगाते हुए उन्होंने कहा, \'\'भविष्य की पीढ़ी के बारे में सोचें. क्या सरकारी स्कूल अगली पीढ़ी की मदद करेंगे.\'\'



ऐसी अधिसूचना जारी करने के लिए \'आप\' सरकार की खिंचाई करते हुए पीठ ने कहा कि सरकार को भविष्य में ऐसी नीति अगर जल्दी नहीं तो कम से कम छह महीने पहले बनानी चाहिए. 

न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, \'\'प्रथम दृष्टया दिल्ली सरकार की सात जनवरी 2017 की अधिसूचना संवैधानिक भावना के विपरीत है. इस अदालत का मानना है कि अल्पसंख्यक स्कूलों के मौलिक अधिकार में दखल नहीं दिया जाना चाहिए और छात्रों को दाखिला देने के उनके अधिकार नहीं छीने जा सकते.\'\'

पीठ ने कहा, \'\'अल्पसंख्यक स्कूलों को अधिकतम प्रशासन का अधिकार है, जिसे अनुबंध की किसी शर्त से वंचित नहीं किया जा सकता.\'\'

स्कूलों को अंतरिम राहत देते हुए पीठ ने कहा, \'\'उच्चतम न्यायालय एवं इस न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखते हुए ऐसे स्कूल तब तक अपनी प्रक्रियाओं के अनुरूप छात्रों को दाखिला देने का अधिकार रखते हैं जब तक कि इसमें निष्पक्षता एवं पारदर्शिता है.\'\'

 

 

भाषा


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