बंद समर्थक और विरोधी आमने-सामने

Last Updated 28 Nov 2016 06:52:32 AM IST

नोटबंदी के विरोध में प्रस्तावित बंद के समर्थकों व विरोधियों में बाहें तन गई हैं और अब समर्थक व विरोधी आमने-सामने दिखाई दे रहे हैं.


काले धन के खिलाफ केंद्रीय मंत्री विजय गोयल के नेतृत्व में पहाड़गंज में निकाले गए ‘जनता का सहयोग मार्च’ में भाग लेते भाजपा कार्यकर्ता.

विरोधियों ने जहां बंद को सफल बनाने का दावा किया तो समर्थकों का दावा है कि दिल्ली के एक दर्जन बाजारों में साप्ताहिक बंदी के बावजूद अनेक व्यापारी साप्ताहिक बंदी के दिन भी नोट बंदी का समर्थन करने के लिए दुकानें खोलेंगे.

नोटबंदी को लेकर सोमवार को विपक्षी दलों द्वारा आयोजित भारत बंद को लेकर राजधानी में रविवार को दिन भर व्यापारिक संगठनों में गहमागहमी रही. बंद समर्थक दलों से जुड़े व्यापारी नेताओं ने जहां जनसंपर्क व आक्रोश रैली निकालकर व्यापारियों से बंद को सफल बनाने का आह्वान किया तो दूसरी ओर अनेक बाजारों के व्यापारिक संगठन नोट बंदी के समर्थन व भारत बंद के विरोध में खुल कर सामने आ गए हैं. कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने भारत बंद का विरोध करते हुए सभी व्यापारिक संगठनों से बंद के दिन किसी दबाव में न आने तथा दुकानें खोलने का आह्वान किया है.

कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खण्डेलवाल का कहना है कि जो भी लोग बंद का विरोध कर रहे हैं उन पर व्यापारियों का कोई प्रभाव नहीं है और दिल्ली का आम व्यापारी बंद के विरोध में खड़ा है. उन्होंने कहा कि कनफेडरेशन से जुड़े सभी व्यापारिक संगठनों ने भारत बंद का विरोध करने का निर्णय लिया है और कनफेडरेशन से जुड़े व्यापारी रोजाना की तरह अपनी दुकानें खोलेंगे.

दिल्ली में सोमवार को लगभग एक दर्जन बाजार साप्ताहिक बंदी के कारण बंद रहते हैं इन बाजारों में करोल बाग, कमला नगर, यमुना पार, तुगलकाबाद, ग्रेटर कैलाश, कालकाजी, ग्रीन पार्क, यूसुफ सराय व लाजपत नगर प्रमुख हैं. हालांकि उक्त सभी बाजार प्रत्येक सोमवार को साप्ताहिक बंदी के कारण बंद रहते हैं लेकिन उक्त बाजारों के अनेक व्यापारिक संगठनों ने एलान किया है कि सोमवार को साप्ताहिक बंद होने के बावजूद उनके बाजारों में अनेक व्यापरियों ने स्वेच्छा से दुकानें खोलने का निर्णय लिया है.




नोटबंदी के खिलाफ भारत बंद में हिस्सा नहीं लेगी स्वराज इंडिया

योगेंद्र यादव की पार्टी स्वराज इंडिया ने नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा आहूत भारत बंद में हिस्सा न लेने का फैसला किया है. पार्टी का कहना है कि विपक्ष के अवसरवादी गठबंधन से उनका कोई लेना-देना नहीं है. नोटबंदी को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच नूराकुश्ती हो रही है. नोटबंदी की आड़ में कालेधन के खिलाफ जंग को भ्रमित किया जा रहा है.
स्वराज इंडिया ने बयान जारी कर कहा है कि नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच जारी नूरा कुश्ती हमारी राजनीति के चरित्र का पर्दाफाश कर रही है. केंद्र की भाजपा सरकार हर रोज नए नियम बना रही है. झूठे वादे और दावे किए जा रहे हैं, जिससे जनता को पीड़ा पहुंच रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में खुली बहस से भाग रहे हैं. उन्हें जवाब देना चाहिए. साथ ही विपक्षी पार्टियां मौके का फायदा उठाकर अवसरवादी गठबंधन में जुटी है, जिससे लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला है. स्वराज इंडिया का कहना है कि नोटबंदी की वजह से जाली नोट का चलन रुकेगा या कालेधन पर कहां तक अंकुश लगेगा, यह तो कहना मुश्किल है. स्वराज इंडिया पहले दिन से मांग कर रही है कि 31 दिसंबर तक पुराने नोट के चलन को पेट्रोल पंप, रेलवे स्टेशन (टिकट), अस्पताल, केंद्रीय भंडार गृह इत्यादि जगहों पर लागू किया जाए, ताकि आमजन परेशान न हो.



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