जेएनयू के लापता छात्र का पता लगाने के लिए एसआईटी गठित, वीसी को छोड़ा

Last Updated 20 Oct 2016 08:51:05 PM IST

गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली पुलिस को जेएनयू के एक लापता छात्र का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का आदेश दिया.


जेएनयू में छात्रों का प्रदर्शन (फाइल फोटो)

उधर, 20 घंटे से अधिक समय तक प्रदर्शनकारी छात्रों के प्रदर्शन के चलते बंधक बने रहने के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति और कुछ अन्य आला अधिकारी गुरुवार को अपने कार्यालय से बाहर आ गये.

आंदोलनकारी छात्रों ने कहा कि उन्होंने अपने रुख को नरम नहीं किया है और विश्वविद्यालय के कुलपति एम जगदीश कुमार और अन्य को अकादमिक काउन्सिल की निर्धारित बैठक में हिस्सा लेने के लिए सिर्फ अपने कार्यालय से जाने की अनुमति दी. आंदोलनकारी छात्रों का आरोप है कि जेएनयू प्रशासन लापता छात्र नजीब अहमद का पता लगाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है.

लापता छात्र के मुद्दे पर छात्रों के प्रदर्शन के छठे दिन में प्रवेश करने के बीच गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह लापता नजीब का पता लगाने के लिए विशेष दल गठित करे, जो जेएनयू के एक हॉस्टल में एबीवीपी समर्थकों के एक समूह के साथ झगड़ा होने के बाद शनिवार से लापता है.

सिंह ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को कॉल किया और विशेष दल गठित करने के लिए निर्देश दिया.

छात्रों ने कुलपति और तकरीबन 12 अन्य अधिकारियों को कल अपराह्न से ही प्रशासनिक भवन से बाहर नहीं निकलने दिया. हालांकि, मीडियाकर्मियों को भीतर जाने की अनुमति दी गई थी.

जेएनयू शिक्षक संघ जो ज्यादातर मुद्दों पर छात्रों का समर्थक रहा है, उसने कुलपति और अन्य को बंधक बनाने के मुद्दे पर छात्रों की आलोचना की थी. कुलपति ने आज सुबह छात्रों को अवैध तरीके से उन्हें कैद करने के लिए कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी.


प्रदर्शनकारी छात्रों की आलोचना करते हुए कुलपति ने कहा कि नजीब का पता लगाने के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों की गंभीरता के बारे में छात्रों को समझाने के लिए कई दौर की बातचीत हुई लेकिन वो अपनी अवैध गतिविधियों को जारी रखे हुए हैं.

कुमार ने कार्यालय से बाहर जाने की अनुमति दिए जाने से कुछ घंटे पहले कहा, ''यह लोकतांत्रिक तरीके से चलने वाला विश्वविद्यालय है. इसलिए हमारी छात्रों को समझाने के लिए उनके साथ कई दौर की वार्ता हुई ताकि उन्हें समझाया जा सके कि विश्वविद्यालय नजीब अहमद का पता लगाने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है.''
   
कुमार ने कहा, ''हमने छात्रों को हर तरीके से समझाने का प्रयास किया कि हम नजीब का पता लगाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, वो मान नहीं रहे हैं और इस तरह के अवैध साधनों का सहारा ले रहे हैं.''

उन्होंने कहा, ''हमें इन अवैध तरीकों से बाध्य नहीं किया जा सकता. विश्वविद्यालय को उचित तरीके से चलाया जाना है और शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित नहीं होनी चाहिए. हम एकबार फिर छात्रों से अपील करते हैं कि वो इस तरह की अवैध गतिविधियों का सहारा नहीं लें, जो विश्वविद्यालय को प्रभावित करेगा.''

निष्क्रियता के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासन ने लापता छात्र के बारे में पुलिस को लिखा था और विश्वविद्यालय की तरफ से जांच को तेज किया जाएगा और 'दोषी' को दंडित किया जाएगा. बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने नजीब का पता लगाने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.



इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, ''कुलपति और अन्य अधिकारियों को कैद करना गलत है. जेएनयू में कुछ छात्र पढ़ने की बजाय राजनीति करने आए हैं. सारी गतिविधियां कानून के दायरे में होनी चाहिए.''

एक व्यक्ति के अपहरण और गलत तरीके से कैद करके रखने का मामला वसंत कुंज उत्तर थाने में दर्ज किया गया, जब पुलिस को छात्र के अभिभावक से एक शिकायत मिली.

इस बीच, वाम संबद्ध समूहों और आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी के बीच एक-दूसरे पर दोषारोपण करने का खेल भी जारी रहा. एबीवीपी ने नजीब की गुमशुदगी में अपनी किसी संलिप्तता से इंकार किया है.

जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष मोहित पांडेय ने कहा, ''एबीवीपी के सदस्यों के साथ झगड़े के बाद से वह गुमशुदा है. वो निश्चित तौर पर उसका पता-ठिकाना जानते हैं. हमने अधिकारियों और कुलपति को एसी (अकादमिक काउन्सिल) की बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति दी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि प्रशासन के साथ हमारा गतिरोध खत्म हो गया है. हम तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे जब तक कि उसका पता नहीं चल जाता.''

जेएनयू की एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष आलोक सिंह ने कहा, ''मुद्दे की शुरूआत के समय से ही वो दावा कर रहे हैं कि एबीवीपी की इसमें भूमिका है.''

उन्होंने कहा, ''हमारा इससे कोई लेना-देना नहीं है. हमारा संदेह नजीब के साथ रहने वाले कासिम पर है और पूर्व में भी उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.''

 

 

भाषा


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