जीएसटी पर दिल्ली विधानसभा की भी मुहर
दिल्ली में आप सरकार के गठन के बाद से ही प्रदेश व केंद्र सरकार के बीच भले ही लगातार तकरार रही हो, लेकिन जीएसटी के मुददे पर दिल्ली सरकार भी केंद्र के साथ खड़ी दिखी.
वित्त मंत्री एवं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो) |
विधानसभा ने बुधवार को जीएसटी से संबधित संकल्प प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर जीएसटी को देश हित में बेहतर बताया. इस विधेयक का अनुमोदन करने वाला वह आठवां व तीसरा गैर-भाजपा शासित राज्य बन गया है.
विधानसभा में यह प्रस्ताव वित्त मंत्री व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पेश किया जिसे चर्चा के बाद पारित कर दिया गया. हालांकि चर्चा के दौरान वित्त मंत्री सिसोदिया सहित विभिन्न विधायकों ने दिल्ली के व्यापारियों व दिल्ली के हित से जुडे मुददे उठाते हुए स्पष्ट किया कि जीएसटी में दिल्ली के व्यापारियों तथा दिल्ली के हितों की अनदेखी न की जाये.
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली से विभिन्न करो के रूप में केन्द्र सरकार को प्रति वर्ष लगभग 1,37000 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं जिसमें से दिल्ली को मात्र 325 करोड़ रुपए ही दिल्ली को केंद्र से प्राप्त होते हैं, दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि जीएसटी लागू होने के बाद दिल्ली को उसका हक मिलेगा.
उन्होंने जीएसटी के तहत कर योग्य व्यापारियों की आय सीमा को 20 लाख से कम न किये जाने की मांग की, उन्होंने कहा कि इस सीमा को और बढ़ाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यों को भी कर तय करने का अधिकार मिलना चाहिए, यदि केवल केंद्र ही कर तय करेगा तो नुकसान होगा.
आप विधायक नितिन त्यागी ने चर्चा में बोलते हुए छोटे व्यापारियों को हर माह रिटर्न भरने से मुक्त करने की मांग की. उन्होंने कहा कि जीएसटी में इस तरह का प्रावधान किया जाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि जीएसटी में यदि दिल्ली को नुकसान होता है तो उसकी भरपाई केन्द्र की ओर से किये जाने की जिम्मेदारी भी केन्द्र सरकार ले.
राजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि हमें राजनैतिक विरोध नहीं करना बल्कि दिल्ली का भला देखना है. अनिल कुमार वाजपेयी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने हर अच्छी पहल का समर्थन व स्वागत किया है.
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