आप सरकार ने कहा, मंत्री के बदलने की वजह से ऑटो विज्ञापन नीति में लग रहा समय
आप सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया है कि वह तिपहिया वाहनों पर विज्ञापनों की अपनी नीति को बदलने के खिलाफ नहीं है.
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल फोटो) |
लेकिन अंतिम फैसला करने में कुछ समय लगेगा क्योंकि पूर्व परिवहन मंत्री ने इस्तीफा दे दिया था और अब नए मंत्री ने कार्यभार संभाला है.
यह तर्क न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद और न्यायमूर्ति विभु बाखरू की पीठ के समक्ष दिया गया जो कुछ ऑटो यूनियनों की ओर से दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
याचिकाओं में सार्वजनिक सेवा वाहनों पर विज्ञापनों की सरकार की नीति को चुनौती दी गई थी, खासकर राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने को लेकर.
दो मामलों में अपना फैसला पहले ही सुरक्षित रख चुकी अदालत ने इन्हें पुन: सुनवाई के वास्ते लिया क्योंकि वह जानना चाहती थी कि क्या सरकार याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों का खुद समाधान करेगी.
दिल्ली सरकार के वकील सत्यकाम जैन ने पीठ को बताया कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर आपत्ति नहीं जता रहे हैं, लेकिन नए परिवहन मंत्री सत्येंद्र जैन की तरफ से औपचारिक फैसला किए जाने का इंतजार कर रहे हैं.
जैन ने गोपाल राय के इस्तीफे के बाद दिल्ली के परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला था.
वकील ने अदालत के समक्ष सरकार का फैसला रखने के लिए दो हफ्ते का समय और मांगा. उनके अनुरोध के मद्देनजर अदालत ने मामले को 26 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह पीठ द्वारा सितंबर 2014 को दिए अपने फैसले में उठाए गए तीन सवालों पर ध्यान ‘केंद्रित’ करे और उसे 22 जुलाई तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें तिपहिया वाहनों पर विज्ञापनों की नीति के बारे में ‘स्पष्ट रूख’ हो.
अदालत ने 19 सितंबर 2014 के अपने आदेश में तीन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था क्या सार्वजनिक सेवा वाहनों पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए अनुमति दी जानी चाहिए, उनकी प्री-सेंसरशिप, और क्या विज्ञापनों के लिए केवल उन वाहनों पर अनुमति दी जानी चाहिए जिनमें जीपीएस या जीपीआरएस सिस्टम लगे हैं.
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने दिशा निर्देशों से ‘राजनीतिक’ शब्द को हटाने से इनकार कर दिया था.
जून 2013 में तत्कालीन दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक सेवा वाहनों पर विज्ञापनों पर तब रोक लगा दी थी जब उन पर दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी के पोस्टर लगे नजर आने लगे थे. इसके बाद उच्च न्यायालय ने प्रतिबंध पर स्थगन दे दिया था.
मई 2014 में दिल्ली सरकार ने अदालत को सूचित किया था कि वह सार्वजनिक सेवा वाहनों पर विज्ञापनों की अनुमति देने के लिए आम दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे रही है तथा उपराज्यपाल की मंजूरी का इंतजार कर रही है.
एक अगस्त 2014 को सरकार ने दिशा निर्देश अदालत के समक्ष पेश कर दिए थे जिनके अनुसार, राजनीतिक, मूल निवासी, धार्मिक या गुटीय सामग्री वाले विज्ञापनों को अनुमति नहीं होगी.
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