दिल्ली सरकार की शक्तियों पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट राजी

Last Updated 02 Jul 2016 06:40:07 AM IST

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली की आप सरकार की उस अपील पर सोमवार को सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया जिसमें उसने दिल्ली सरकार की शक्तियों के दायरे सहित विभिन्न मुद्दों पर उच्च न्यायालय को फैसला देने से रोकने की मांग की है.


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ दिल्ली सरकार की अपील पर सुनवाई करेगी जिसमें यह दावा किया गया है कि राज्यों और केंद्र की शक्तियों से जुड़े मुद्दे को देखना संविधान के तहत केवल उच्चतम न्यायालय का ही अधिकार क्षेत्र है.

अरविन्द केजरीवाल सरकार की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया. पीठ में न्यायमूर्ति एएम खानविकलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, विवाद के संबंध में उच्च न्यायालय के अधिकारक्षेत्र पर फैसला होने तक कोई आदेश दिए जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि विवाद संविधान के अनुच्छेद 239ए के तहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) की शक्तियों के इर्द-गिर्द केंद्रित है.

आप सरकार ने यह आरोप लगाया है कि वह काम करने में असमर्थ है क्योंकि इसके ज्यादातर फैसलों को उपराज्यपाल नजीब जंग के कहने पर इस आधार पर केंद्र द्वारा रद्द कर दिया जाता है या बदल दिया जाता है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है.

शुरू में पीठ इस पर तत्काल सुनवाई करने को तैयार नहीं थी और इसने कहा, दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला आने दीजिए और आप (दिल्ली सरकार) इस अदालत के समक्ष सभी मुद्दे उठाने को स्वतंत्र हैं. पीठ ने कहा, इस विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) का लंबित रहना दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसला देने के रास्ते में नहीं आएगा. हम मुद्दे को परखेंगे जब यह हमारे समक्ष आएगा. हालांकि, शीर्ष अदालत बाद में दिल्ली सरकार के आग्रह पर सोमवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गईं.

दिल्ली सरकार ने अपनी अपील में आरोप लगाया है कि राज्य में जन सुविधा प्रदान करने की हमारी शक्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है. इसने एक यह भी सवाल उठाया कि क्या भारत संघ राज्य सरकार की सभी शक्तियां ले सकता है.

 



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