केंद्र ने लौटाए दिल्ली सरकार के 14 विधेयक
केन्द्र सरकार ने एक झटके में ही उन 14 विधेयकों को वापस दिल्ली सरकार को लौटा दिया है, जिन्हें सरकार ने विधानसभा से पारित कराकर उपराज्यपाल के पास भेजा था.
अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार (फाइल फोटो) |
दिल्ली सरकार के मंत्रियों के संसदीय सचिवों को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने से संबंधित दिल्ली विधानसभा सदस्यता संशोधन विधेयक राष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने के बाद अब केंद्र सरकार ने केजरीवाल सरकार को एक और तगड़ा झटका दिया है. केन्द्र सरकार ने एक झटके में ही उन 14 विधेयकों को वापस दिल्ली सरकार को लौटा दिया है, जिन्हें सरकार ने विधानसभा से पारित कराकर उपराज्यपाल के पास भेजा था. केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इन 14 विधेयकों को लौटाने की जो वजह बताई है, उसके मुताबिक दिल्ली सरकार ने इन विधेयकों को पेश व पारित कराने में तय प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है.
इन विधेयकों में जनलोकपाल विधेयक, विधायकों के वेतन वृद्धि से संबंधित विधेयक भी शामिल हैं. इन 14 विधेयकों को वापस लौटाए जाने के संबंध में उपराज्यपाल कार्यालय ने हालांकि पुष्टि नहीं की है. उधर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर दी है. उनका कहना है कि दिल्ली सरकार ने 10 बार तो प्रक्रिया पूरी करके भेज दी, उनकी नीयत नहीं है बिल पास करने की, हर काम में अड़ंगा लगा रहे हैं. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक चूंकि दिल्ली केन्द्रशासित है इसलिए तय प्रक्रियाओं के मुताबिक दिल्ली सरकार को विधानसभा में कोई भी विधेयक पेश करने से पहले उसे केन्द्र सरकार की पूर्वानुमति लेनी जरूरी है.
केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद ही कोई विधेयक विधानसभा में पेश किया जा सकता है और पारित किया जा सकता है. उसके बाद विधेयक उपराज्यपाल को भेजना होता है. उपराज्यपाल के यहां से वह विधेयक केन्द्र सरकार के पास आता है, केन्द्र सरकार की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति अपनी मंजूरी प्रदान करते हैं.
सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने इस बात पर आपत्ति दर्ज कराई है कि दिल्ली सरकार ने उक्त सभी विधेयकों के मसौदे को केंद्र सरकार से पारित किए बिना ही विधानसभा में पेश किया था, जो कि सीधे तौर पर प्रक्रियाओं का उल्लंघन है इसीलिए ये सभी 14 विधेयक दिल्ली सरकार को वापस भेजे जा रहे हैं. इन विधेयकों में जनलोकपाल विधेयक 2015, न्यूनतम वेतन (दिल्ली संशोधन) विधेयक 2015, दिल्ली स्कूल (लेखा की जांच एवं अधिक वसूली गई फीस की वापसी) विधेयक 2015, बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (दिल्ली संशोधन विधेयक 2015) और श्रमजीवी पत्रकारों से संबंधित एक विधेयक शामिल है. केन्द्र सरकार के इस कदम से आम आदमी पार्टी की सरकार और मोदी सरकार के बीच एक बार फिर तनातनी और तेज होगी.
उधर केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इन विधेयकों को लौटाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक के बाद एक ट्वीट किए हैं. इसमें उन्होंने कहा कि ‘मोदी का नारा-न काम करुंगा, न करने दूंगा.’ ‘क्या दिल्ली की चुनी हुई विधानसभा को कानून पास करने का अधिकार नहीं होना चाहिए.’ ‘क्या केन्द्र को दिल्ली के हर कानून को रोकने का अधिकार होना चाहिए? क्या केन्द्र दिल्ली का हेड मास्टर है.’ ‘मोदी जी से फिर हाथ जोड़कर निवेदन है-थोड़ा बड़ा दिल कीजिए, दिल्ली की हार को भुला दीजिए और इस तरह से दिल्ली के लोगों से बदला मत लीजिए.’
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