परिवार की अमूल्य संपदा हैं बेटियां : अमिताभ बच्चन

Last Updated 29 May 2016 06:15:09 AM IST

मोदी सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे होने के अवसर इंडिया गेट पर आयोजित भव्य समारोह में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यकम में बिग बी ने कहा कि बेटी और बेटे के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए.


केंद्र सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर इंडिया गेट पर आयोजित ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के दौरान एक छात्रा के सवाल का जवाब देते अभिनेता अमिताभ बच्चन.

सदी के महानायक अभिनेता अमिताभ बच्चन ने यहां आयोजित समारोह में नरेंद्र मोदी सरकार की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के महत्व को रेखांकित करते हुये सभी से देश के विकास में महिलाओं को पुरुषों के समान बराबर का भागीदार बनाने और बेटी को परिवार की अमूल्य सम्पदा मानते हुए उसकी रक्षा करने की अपील की

मोदी सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे होने के अवसर यहां इंडिया गेट पर आयोजित भव्य समारोह में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यकम में भाग लेते हुए कहा बच्चन ने कहा कि बेटी और बेटे के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए और उन्हें भी अमूल्य सम्पदा मानकर उनकी रक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश विकास के पथ पर तभी तेजी से अग्रसर हो सकता है, जब उन्हें भी विकास में पुरुषों की तरह बराबर का भागीदार बनाया जाए.

बच्चन ने कहा कि सी को कमजोर नहीं समझा जाए और तथाकथित अबला के भीतर वास करती सबला को विकसित होने का मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने इस संदर्भ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस कथन को उद्धृत किया कि यदि बल का अर्थ पशुबल है तो इस अर्थ में सी कमजोर है लेकिन यदि बल का अर्थ आत्मबल है तो पुरुष कभी उसकी बराबरी नहीं कर सकता.

अमिताभ बच्चन ने इस मौके पर लड़कियों के लिए काम करने वाली एक संस्था की ओर से आयी बच्चियों के साथ बातचीत की और उनके सवालों के जवाब दिए. सातवीं कक्षा की एक छात्रा शगुन ने जब उन्हें बिग बी सम्बोधित करते हुए उनके बचपन के बारे में उनसे पूछा तो वह मंच पर उसके सामने बैठ गए और कहा कि वह बिग बी नहीं हैं.

ऐसी कोई पदवी नहीं होती. उन्होंने उससे कहा कि एक उद्देश्य होने पर मंजिल मिल ही जाती है. इस संदर्भ में उन्होंने अपने पिता सुप्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की कृति मधुशाला की कुछ पंक्तियां पढ़ीं- अलग अगल पथ बतलाते सब, राह पकड़ एक तू पा जाएगा मधुशाला.

नौवीं कक्षा की अंजलि ने श्री बच्चन से कहा कि वह फिल्मों की नृत्य निर्देशक सरोज खान की तरह डांसर बनना चाहती है लेकिन माता पिता यह नहीं चाहते. इस पर बच्चन ने कहा कि माता-पिता को बच्चों को नहीं रोकना चाहिए.

यदि वे कुछ गलत करते हैं तो उनका रोकना वाजिब है लेकिन यदि बच्चे कुछ बनने की ख्वाहिश रखते हैं तो उन्हें प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए. एक छात्रा ¨पकी उनसे सर्जन बनने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए अध्यापक उपलब्ध नहीं हो पाते. बच्चन ने इस पर कहा कि कई  संस्थान हैं, जहां से आपको मदद मिल सकती है.

 एक अन्य छात्रा ने बच्चन से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय पर अपनी लिखी कविता उन्हें पढ़कर सुनाने को कहा, जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने उनकी कविता पढ़ी-  बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को सफल बनाना है. उन्होंने आधुनिक टेक्नोलाजी से बच्चों के अधिक वाबस्ता होने का जिक्र करते हुए कहा कि यह उक्ति कि चाइल्ड इज दि फादर ऑफ मैन आज के समय में पूरी तरह सार्थक है. इस मामले में हमें बच्चों से सीखना होगा. टेक्लोनॉलाजी के मामले में वे हमसे कहीं आगे हैं.

सहारा न्यूज ब्यूरो


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