अप्राकृतिक यौनाचार के लिए सहमति आरोप मुक्त करने का कोई आधार नहीं : अदालत
दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि प्रथम दृष्टया एक पायलट के खिलाफ अप्राकृतिक यौनाचार का मामला बनता है.
फाइल फोटो |
पायलट ने कथित तौर पर अपने चालक दल की सदस्य का यौन उत्पीड़न किया था. अदालत ने कहा कि सहमति आरोप मुक्ति का कोई आधार नहीं है. अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ बलात्कार और आपराधिक धमकी के लिए भी आरोप तय किए जा सकते हैं, जिसने लड़की पर अपने पद के अधिकार का इस्तेमाल किया था.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला भारद्वाज ने कहा, \'\'आरोपी के वकील ने जिस मामले के तथ्यों का हवाला दिया उसे मौजूदा मामले पर लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि आरोपी पर अप्राकृतिक यौनाचार के विशेष आरोप लगाए गए हैं, जिसके लिए सहमति आरोप मुक्त करने का आधार नहीं हो सकती. साथ ही पीड़िता कह रही है कि आरोपी ने पीड़िता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल किया.\'\'
अदालत ने यह भी कहा कि शादी के वादे के आरोप को अलग रखने के अलावा \'\'प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (2) (बलात्कार), धारा 377 (अप्राकृतिक यौनाचार) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के अपराध के लिए आरोप तय करने के लिए सामग्री उपलब्ध है.\'\'
आरोप तय करने के बिंदु पर दलील देते हुए अभियोजन ने कहा कि महिला वरिष्ठ केबिन क्रू थीं. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपी उसपर एयरलाइंस का पायलट होने की धौंस जमाता था और उसका करियर खत्म करने की धमकी देकर उसे यौन संबंधों के लिए मजबूर करता था.
उन्होंने दलील दी कि महिला ने आरोपी पर अप्राकृतिक यौनाचार और बलात्कार के आरोप लगाने के साथ ही यह आरोप भी लगाया कि पायलट ने उससे शादी करने का झांसा देकर उससे रिश्ते बनाए.
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