बीपीओ कंपनियां भारत छोड़कर जा सकती हैं
सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल से चलने वाली टैक्सियां चलाए जाने पर रोक का मुद्दा उठाया.
बीपीओ कंपनियां भारत छोड़कर जा सकती हैं |
सरकार ने कहा कि इससे बीपीओ के फलते-फूलते उद्योग पर खराब असर पड़ेगा और वे भारत से बाहर जाने के बारे में सोच सकती हैं.
सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ से कहा, ‘बीपीओ उद्योग प्रभावित होंगे, क्योंकि डीजल टैक्सियों का उपयोग कर्मियों को लाने ले जाने के लिए किया जाता है. यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा.’
कुमार ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर जल्द ही एक आवेदन दायर करेगी, क्योंकि यह बीपीओ कर्मियों की सुरक्षा से भी जुड़ा है. उन्होंने कहा, ‘बीपीओ कर्मियों को होने वाली असुविधा के चलते कंपनियां देश से बाहर जा सकती है जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा.’ इसपर अदालत ने सवाल किया कि बीपीओ कंपनियां कर्मियों को लाने ले जाने के लिए बसों की सेवाएं क्यों नहीं ले सकतीं.
इस बीच, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने अदालत को सूचित किया कि वह डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध से उत्पन्न स्थिति पर दिल्ली सरकार के साथ चर्चा कर रहा है, इस पर उच्चतम न्यायालय ने वकील से कहा कि वह इस मुद्दे पर खाका पेश करें जिसपर नौ मई को चर्चा होगी जब इस मामले पर अगली सुनवाई होगी.
ईपीसीए ने कहा कि डीजल टैक्सियों को दिल्ली और एनसीआर में चलाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. इससे वे प्रभावित हो रही हैं, क्योंकि उनके पास देश भर के विभिन्न गंतव्यों की यात्रा करने का आल इंडिया परमिट है जहां सीएनजी उपलब्ध नहीं है.
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली से डीजल टैक्सियों को क्र मबद्ध तरीके से हटाने के लिए तीन मई को दो दिन का समय दिया था. आप सरकार ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के चलते राष्ट्रीय राजधानी में तकरीबन 30 हजार टैक्सियों का चलना बंद हो गया है जिससे आम जनता को असुविधा हो रही है और लोगों की सुरक्षा प्रभावित हो रही है. उसके बाद, उच्चतम न्यायालय ने कहा था जब भी इस तरह के फैसले किए जाते हैं, लोगों को असुविधा होती है.
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