एनजीटी ने बिजली कंपनियों से कहा : दिल्ली में पेड़ों पर लिपटे तार हटाए जाएं

Last Updated 01 May 2016 10:02:13 AM IST

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने पेड़ों के चारों ओर लिपटे हाई टेंशन वाले तारों को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है.


फाइळ फोटो

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने पेड़ों के चारों ओर लिपटे हाई टेंशन वाले तारों को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय राजधानी में बिजली वितरण कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे इन तारों को जल्दी हटाएं.
   
न्यायमूर्ति यू डी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उनके लाइसेंस के तहत आने वाले क्षेत्रों के पेड़ों पर लिपटे तार उतारने के काम का जिम्मा रहेगा. यह काम अगले 20 सप्ताह में पूरा हो जाना चाहिए.
   
हरित न्यायाधिकरण ने इन कंपनियों को ये भी निर्देश दिए कि वे ऊपर से जा रहे बिजली के तारों को छू रहीं पेड़ों की शाखाओं को काट कर छोटी करने के लिए निकाय प्रशासन के साथ सहयोग करें.
   
बीते 23 मार्च को, न्यायाधिकरण ने पेड़ों पर हाई टेंशन तारें लगाने के लिए बिजली वितरण कंपनियों को फटकार लगाई थी। न्यायाधिकरण ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि तार नहीं हटाए गए तो उनके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
 

एनजीटी ने सभी नगर निगमों और संबंधित विभागों को भी निर्देश दिए थे कि वे दो सप्ताह के भीतर  पेड़ों की जड़ों के आसपास जमीन की सतह पर लगी कंकरीट को हटाए जाने के अनुपालन से जुड़ी रिपोर्टे दाखिल करें.
   
एनजीटी ने पिछले साल दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड और नॉर्थ दिल्ली पावर लिमिटेड को पेड़ों के चारों ओर तार लपेटने के मामले में नोटिस जारी किए थे.
   
वर्ष 2013 में, एनजीटी ने नगर निकायों और दिल्ली विकास प्राधिकरण समेत सार्वजनिक प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले साइन बोर्ड, विज्ञापन, तार एवं अन्य चीजें और उनकी जड़ों के आसपास जमीन की सतह पर लगाए गए कंकरीट को तत्काल हटाया जाए.
   
पीठ वकील आदित्य एन प्रसाद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पेड़ों की जड़ों के आसपास जमीन की सतह पर किए गए कंकरीट निर्माण से उनकी जड़ें कमजोर होती हैं और अंतत: वे मर जाते हैं.



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