दिल्ली में काम क्यों नहीं कर रही सम-विषम योजना: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार की सुर्खियों में रही सम-विषम योजना से प्रदूषण स्तर कम क्यों नहीं हो सका और वायु की गुणवत्ता के मानकों को लेकर उठाये गये कदम कारगर क्यों नहीं रहे.
सम-विषम से प्रदूषण कम क्यों नहीं हो सका (फाइल फोटो) |
प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रदूषण के स्तर को रोकने के लिए 1985 में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, \'\'दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में कोई अंतर क्यों नहीं आया, जबकि सम-विषम योजना, राष्ट्रीय राजधानी से ट्रकों का रास्ता बदलने जैसे कदम उठाये गये. समाधान क्या हैं.\'\'
पीठ में न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति आर भानुमति भी शामिल हैं. शनिवार को विशेष सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि पहले ट्रक राष्ट्रीय राजधानी के बीच में से जाते थे लेकिन अब उनका रास्ता बदल दिया गया लेकिन फिर भी वायु गुणवत्ता में कोई अंतर, नहीं दिखाई देता.
ऑटोमोबाइल निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कई अन्य कारक हैं जो प्रदूषण बढ़ाते हैं जिनमें सड़क की धूल 38 प्रतिशत और उद्योग 11 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं.
सम-विषम योजना के दूसरे चरण का आज आखिरी दिन है. उस पर टिप्पणी किये बिना सिंघवी ने कहा, \'\'जब तक हम वास्तविक प्रदूषणकारी तत्वों के मुद्दे पर विचार नहीं करेंगे, कुछ सुधार नहीं होगा.\'\'
उन्होंने आगे कहा, \'\'यह कहना कि डीजल कारों से अधिक प्रदूषण होता है और उन्हें प्रतिबंधित कर देना चाहिए, इससे कोई समस्या हल नहीं होगी.\'\'
सम-विषम योजना का दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ था.
प्रधान न्यायाधीश ने दिसंबर में एक तरह से दिल्ली सरकार की इस योजना का समर्थन किया था और कहा था कि अगर समस्या कम होती है तो इस योजना पर अमल किया जा सकता है.
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