भ्रष्टाचार ही ब्यूरोक्रेसी, पॉलिटीशियन व पुलिस का ईंधन : सत्येंद्र

Last Updated 13 Feb 2016 05:44:42 AM IST

दिल्ली के गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन को सरकार में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के बाद सबसे पावरफुल मंत्री माना जाता है.


दिल्ली के गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन (फाइल फोटो)

उनके पास गृह, स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाएं, लोक निर्माण विभाग, उद्योग एवं ऊर्जा जैसे  पांच प्रमुख विभाग हैं. जैन दिल्ली में केजरीवाल की 49 दिन की सरकार के दौरान भी मंत्री थे. ब्यूरोक्रेसी व पुलिस के रवैये को लेकर उनमें आक्रोश दिखाई देता है. केजरीवाल सरकार का एक वर्ष पूरा होने पर राष्ट्रीय सहारा के संजय टुटेजा ने उनसे विशेष बातचीत की तो इस बातचीत में भी उन्होंने देश के मौजूदा लोकतांत्रिक ढांचे तथा ब्यूरोक्रेसी पर सवाल उठाये. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश -

  • बीते एक वर्ष में सरकार व ब्यूरोक्रेसी के बीच दूरियां बढ़ती दिखाई दी हैं ?

यहां ब्यूरोक्रेसी काम के लिए नहीं बल्कि राज के लिए है. ब्यूरोक्रेसी के पास दो शब्द है पॉवर एवं अथारिटी.  पॉवर व अथारिटी का इस्तेमाल करने के लिए ही ब्यूरोक्रेट नौकरी करते हैं. यह सरकार पॉवर व अथारिटी के लिए नहीं बल्कि जनता की सेवा के लिए सत्ता में आई है. आप सरकार के कार्यकाल में कुछ ब्यूरोक्रेट के काम में सुधार आया है और वह अच्छा काम कर रहे हैं.

  • आपके पास पांच विभाग हैं, लेकिन मात्र एक विभाग में ही प्रधान सचिव की जिम्मेदारी किसी आईएएस के पास है ?

हां, मैंने कहा ना ब्यूरोक्रेट काम नहीं करते, जो लोग पेशेवर हैं व पेशेवर तरीके से काम करने में सक्षम हैं हम उन्हें ही जिम्मेदारी दे रहे हैं. हमने स्वास्थ्य विभाग में एक आईआरएस अधिकारी व डाक्टर को सचिव पद की जिम्मेदारी दी है, ऊर्जा विभाग के सचिव सीए होने के साथ-साथ आईआरएस हैं, लोक निर्माण विभाग में भी भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के एक इंजीनियर को सचिव बनाया गया है तथा उद्योग विभाग में आयुक्त व सचिव की जिम्मेदारी एक दानिक्स अधिकारी को दी है जो इंजीनियर हैं.

  • ब्यूरोक्रेसी को लेकर आखिर इतना गुस्सा क्यों ?

मैं तो कहूंगा ये देश डेमोक्रेटिक नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेटिक व पुलिस स्टेट है. लोकतंत्र में जनता सवरेपरि होती है लेकिन यहां तो ब्यूरोक्रेट और पुलिस सवरेपरि है और जनता बेचारी निरीह है. जनता ब्यूरोक्रेसी, पॉलिटीशयन व पुलिस के बीच पिस रही है.

  • आप इस व्यवस्था का प्रमुख कारण क्या मानते हैं ?

भ्रष्टाचार ही ब्यूरोक्रेसी, पॉलिटीशियन व पुलिस का ईंधन है.  पुलिस सभी पॉलिटीशियन को सूट करती है. राजनीतिक फायदा उठाने के लिए पॉलीटीशियन पुलिस का इस्तेमाल करते हैं. इसलिये भ्रष्टाचार पर अंकुश जरूरी है.

  • आप भ्रष्टाचार व जनलोकपाल के मुददे को उठाकर ही सत्ता में आये लेकिन विपक्षी दल आप पर बहुत ही कमजोर जनलोकपाल लाने के आरोप लगाते हैं ?

आप सरकार का जनलोकपाल कमजोर नहीं बल्कि ताकतवर है. अगर केंद्र सरकार इसे कमजोर मानती है तो कमजोर को ही पास कर दे, फिर पता चल जायेगा कि यह कितना ताकतवर है ?

  • आपके सामने बड़ी चुनौती क्या है ?

जनता की अपेक्षाएं ही हमारे सामने बड़ी चुनौती है. जनता हम पर विास करती है इसलिए अपेक्षाएं भी रख रही है. हम लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करेंगे.

  • आप सरकार के दूसरे वर्ष में आपके सामने लक्ष्य क्या है ?

 

मैं अपने काम में 100 में से 100 नम्बर लाना चाहता हूं, यदि 99 नम्बर आते हैं तो मैं विफलता मानूंगा. जो भी विभागों के तीन वर्ष के लक्ष्य हैं उन्हें में एक वर्ष में पूरा करना चाहता हूं.

  • आपके पास पांच प्रमुख विभाग हैं, इनमें सबसे चुनौतीपूर्ण विभाग किसे मानते हैं ?

स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं विभाग निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण हैं. दिल्ली में रोगियों का दबाव है, हेल्थ केयर का मतलब केवल अस्पताल खोल देना ही नहीं है, चिकित्सा सुविधाओं को जनता के पास तक ले जाना होगा, इसका प्रयास हम मौहल्ला क्लीनिक व पॉली क्लीनिक के जरिए कर रहे हैं. जनता को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हेल्थ कॉर्ड जैसी योजनाओं पर भी काम शुरू किया गया है.

  • क्या दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार के बीच लगातार होने वाली लड़ाई से आपके विभागों के काम प्रभावित हुए हैं ?

नहीं, बिल्कुल नहीं, लड़ाई मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लड़ रहे हैं और हम काम कर रहे हैं. योजनाओं के स्तर पर काफी काम हुआ है जिसके परिणाम जल्द आने शुरू होंगे.

  • आपके पास ऊर्जा विभाग की भी जिम्मेदारी है, क्या दिल्ली की जनता को सस्ती बिजली मिलती रहेगी ?

हमने सस्ती बिजली दी है, पिछले वर्ष हरियाणा में 20 प्रतिशत तथा राजस्थान में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी बिजली दरों में हुई है लेकिन दिल्ली में कोई बढ़ोतरी नहीं होने दी. सीएजी आडिट में लगभग 8000 करोड़ का अंतर आया है, इस अंतर का फायदा जनता को मिले तो बड़ा फर्क सामने आएगा. सरकार की कोशिश रहेगी कि इस वर्ष भी बिजली की दरों में बढ़ोतरी न हो.

  • आप स्वयं अपने काम से कितने खुश हैं ?

मुझे काम करने में मजा आता है और पूरी तन्मयता से काम करता हूं, मुझे किसी से काम का न  क्रेडिट चाहिए न डेबिट चाहिए. काम हो तथा आम जनता को काम का फायदा मिले यही लक्ष्य है.



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