दिल्ली में कैपिटेशन फीस लेने पर होगा जुर्माना

Last Updated 02 Dec 2015 06:34:47 AM IST

स्कूल केपिटेशन फीस के नाम पर डोनेशन लेंगे तो पब्लिक स्कूलों पर भारी जुर्माना लगेगा तथा 3 वर्ष तक की जेल का भी प्रावधान है.


दिल्ली विस में सीएम अरविंद केजरीवाल व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया.

राजधानी की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दावे के साथ विधानसभा में पेश किये गये दिल्ली विद्यालय शिक्षा संशोधन विधेयक, दिल्ली विद्यालय लेखा जांच व फीस वापसी संशोधन विधेयक एवं नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक को विधानसभा में विपक्ष के विरोध के बावजूद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. भाजपा सदस्यों ने संशोधन विधेयकों का विरोध करते हुए वाकआउट किया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने संशोधन विधेयकों को दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरुआत बताया है.

आप विधायक मदन लाल ने प्रस्तावित संशोधन विधेयक के मसौदे में कुछ संशोधन का सुझाव देते हुए कहा कि विधेयक में यह प्रावधान किया जाये कि स्कूलों में भवन निर्माण में मनमानी न की जाए तथा स्कूल परिसर में किसी तरह की अन्य इंस्टीटय़ूट की गतिविधियां संचालित न की जाएं. उनके इस सुझाव को संशोधन विधेयक में स्वीकार कर लिया गया. इस संशोधन के बाद तीनों संशोधन विधेयकों को विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. भाजपा सदस्यों ने विधेयकों पर मतदान से पूर्व ही विधेयकों का विरोध करते हुए वाकआउट कर दिया.

विधेयक में पब्लिक स्कूलों की मनमानी पर 10 लाख रुपए तक के जुर्माने तथा 3 वर्ष तक की जेल का प्रावधान है. विधेयक के अनुसार यदि स्कूल केपिटेशन फीस के नाम पर डोनेशन लेंगे तो विधेयक के अनुसार उन्हें ली गई केपिटेशन फीस का 10 गुना या 5 लाख रुपए जो ज्यादा होगा, वह जुर्माना देना होगा, यदि यह गलती दोहराई गई तो 10 लाख रुपए तक जुर्माना व 3 वर्ष तक की कैद का प्रावधान है.

बिल में अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान स्कूलों के लिए किया गया है तथा स्कूलों का प्रति वर्ष ऑडिट कराने का प्रावधान किया गया है, विधेयक के अनुसार सरकार स्कूलों की फीस स्वयं निर्धारित करने के बजाय उनके खातों का ऑडिट कराएगी. नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया है कि कोई भी स्कूल प्रवेश स्तर पर यदि स्कूल की ओर से मनमानी की जाती है तो स्कूल प्रबंधन को सजा होगी.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 20 नवंबर को विधानसभा में दिल्ली विद्यालय शिक्षा संशोधन विधेयक तथा नि:शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन विधेयक पेश किये थे जबकि 27 नवम्बर को नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधीनियम संशोधन विधेयक पेश किया था. उक्त तीनों विधेयकों पर सदन पर दो दिन तक हुई व्यापक चर्चा के बाद मंगलवार को तीनों संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित कर दिए गए.

विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने संशोधन विधेयक में किए गए प्रावधानों को मजाक बताया. गुप्ता ने कहा कि सरकार ने जो प्रावधान किए हैं उससे न तो अभिभावकों का शोषण रुकेगा और न ही शिक्षा में कोई सुधार होगा. उन्होंने कहा कि अभिभावकों का शोषण तथा स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए कोई ठोस प्रावधान विधेयक में नहीं किए गए हैं. चर्चा में आम आदमी पार्टी के लगभग एक दर्जन सदस्यों ने भाग लिया.



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