दिल्ली में शराब पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं: सिसोदिया
दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में इस समय शराब पर प्रतिबंध लगाने का उसका कोई प्रस्ताव नहीं है.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया (फाइल फोटो) |
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने दिल्ली विधानसभा में कहा, \'\'इस समय दिल्ली में शराब पर प्रतिबंध लगाने का हमारा कोई प्रस्ताव नहीं है.\'\' राजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी जिसके बाद सिसौदिया ने यह टिप्पणी की.
साथ ही दिल्ली सरकार ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम की संबद्ध धाराओं में संशोधन कर आठवीं कक्षा तक छात्रों को अनुत्तीर्ण ना करने के प्रावधान (नो डिटेंशन पॉलिसी) को हटाने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया.
आप सरकार ने कहा कि इससे स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की राह में अवरोध पैदा हो रहा है. इससे पहले पिछले हफ्ते भी सिसोदिया शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए दो दूसरे विधेयक पेश कर चुके हैं.
बाल निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार :दिल्ली संशोधन: विधेयक, 2015 पेश करते हुए उपमुख्यमंत्री सह शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने छठी, सातवीं और आठवीं कक्षाओं में बच्चों के अनुत्तीर्ण होने के आंकड़ों की बात की. हालांकि आरटीई के उक्त प्रावधान के कारण उन्हें अनुत्तीर्ण नहीं किया जा सकता.
मूल अधिनियम की धारा में \'\'अगर किसी बच्चे ने किसी कक्षा में उचित शिक्षण स्तर हासिल नहीं किया है तो उसे आगे उसी कक्षा में बनाए रखा जा सकता है\'\' की शर्त जोड़ी जाएगी. दिल्ली सरकार की तरह एक दर्जन से अधिक दूसरे राज्य भी नो डिटेंशन पॉलिसी में बदलाव चाहते हैं.
मानव संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अब तक 14 राज्यों ने इस विषय में अपनी प्रतिक्रिया दी है जिनमें कर्नाटक को छोड़कर बाकी सभी ने पहली से लेकर आठवीं कक्षा तक के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी हटाने का समर्थन किया है.
समझा जाता है कि राज्य इसे हटाने के पक्ष में हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इस तरह के कदम से छात्रों को ज्यादा अच्छे से पढ़ने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.
इसी बीच ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल राय ने कहा कि आप सरकार जल्द ही राष्ट्रीय राजधानी में सभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों के लिए भूमि आवंटन संबंधी एक नीति लेकर आएगी. उन्होंने विधानसभा में कहा कि सरकार एक विस्तृत नीति लाएगी जिसके तहत वह राजनीतिक दलों को उनके कार्यालयों के लिए भूमि उपलब्ध कराएगी.
सूत्रों ने कहा कि यह नीति दूसरे स्थानीय दलों के लिए हैरान करने वाली हो सकती है क्योंकि केवल दिल्ली विधानसभा में न्यूनतम प्रतिनिधित्व वाले दल प्रस्तावित नीति के तहत भूमि पाने के योग्य नहीं होंगे.
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