वितरण कंपनियों के घाटे का समाधान किए बिना उदय योजना का सफल होना संभव नहीं

Last Updated 27 Nov 2015 05:44:16 AM IST

केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की योजना उदय 5 नवम्बर को शुरू की गई है.


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इस योजना के तहत देश में निर्बाध और गुणवत्ता युक्त बिजली आपूर्ति करना है, लेकिन इसके लिए सरकार को  बिजली वितरण कंपनियों के घाटे का समाधान करना होगा. अगर सरकार द्वारा कोई सार्थक पहल नहीं की जाती तो इस योजना को सफल होना संभव नहीं है. यह बात बिजली वितरण कंपनी टीपीडीडीएल ने दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन को लिखे पत्र में कही. पत्र 13 नवम्बर को लिखा है.

टीपीडीडीएल के सीईओ एवं प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा द्वारा लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि 5 नवम्बर को केंद्र सरकार ने योजना उदय शुरू की है. इस योजना के तहत देश भर में निर्बाध और गुणवत्ता युक्त 24 घंटे और सातों दिन बिजली बिजली आपूर्ति किया जाना है. उन्होंने कहा कि देशभर की बिजली वितरण कंपनियों पर 3.8 लाख करोड़ रुपए बकाया है अगर मार्च 2015 तक के बकाए को जोड़ दिया जाए तो यह राशि 4.3 लाख करोड़ हो जाती है. अकेले दिल्ली की बिजली वितरण कंपनियों की आउट स्टैंडिंग 25000 करोड़ है. इसमें 5000 करोड़ रुपए से अधिक राशि टीपीडीडीएल की है. इस बकाया राशि के मिले बिना बिजली वितरण कंपनियां योजना उदय को मूर्तरूप देने में सफल नहीं हो सकती हैं.

श्री सिन्हा ने कहा कि जिन राज्यों में सरकार बिजली वितरण का कार्य करती है वह बिजली के घाटे की राशि को अपने घाटे में समायोजित कर लेगी और बिजली वितरण सुचारू रूप से शुरू कर लेगी, लेकिन दिल्ली सहित जिन राज्यों में बिजली वितरण निजी हाथों में उनके लिए सरकार द्वारा कोई योजना शुरू नहीं की गई है जबकि राज्य सरकारों को इस योजना की सफलता के लिए कोई न कोई योजना शुरू करनी चाहिए. उन्होंने कहा बिजली वितरण कंपनियों के हितों को देखते हुए सरकार ऋण माफ कर दे अथवा बकाया राशि का भुगतान करें अथवा कम दरों पर बैंकों से ऋण दिला दे तो इस योजना को सफलता मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि देश में बिजली क्षति 26 प्रतिशत है, लेकिन दिल्ली की ए.टी.एन्ड सी लॉस 14 प्रतिशत रह गया है जो दिल्ली की उपलब्धता है. यह सफलता बिजली कंपनियों द्वारा अतिआधुनिक तकनीक का उपयोग करने से प्राप्त हुई है. पहले दिल्ली सरकार को बिजली सब्सिडी के रूप में भारी भरकम रकम अदा करनी पड़ती थी, लेकिन अब प्रतिवर्ष 300 से 400 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष बिजली सब्सिडी के अदा करने पड़ते हैं.

उन्होंने कहाकि  रेग्यूलेटरी एस्सेट्स के 25000 करोड़ में से 12500 करोड़ के लिए  री पेयबल सरकार द्वारा 10 वर्ष के लिए टैक्स फ्री बांड जारी चाहिए, जिनकी ब्याज दर 8 प्रतिशत वाषिर्क हो और 25 प्रतिशत राशि के लिए बैंकों से कम ब्याजदर पर ऋण का भुगतान कराने से इस योजना को गति मिल सकती है. इस योजना से दिल्ली सहित अन्य राज्यों की सरकारों को कोई हानि नहीं उठानी पड़ेगी और बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार भी नहीं पड़ेंगे.

पुरुषोत्तम भदौरिया
एसएनबी


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