उपहार अग्निकांड: न्यायालय ने नीलम कृष्णामूर्ति की याचिका ठुकराई
सुप्रीम कोर्ट ने उपहार सिनेमा अग्निकांड पीड़ितों के संगठन की अध्यक्ष को धमकी देने के आरोप में दर्ज आपराधिक कार्यवाही निरस्त करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया.
उपहार अग्निकांड (फाइल फोटो) |
रियल इस्टेट कारोबारी सुशील और गोपाल अंसल को शुक्रवार को उस समय बड़ी राहत मिली जब उच्चतम न्यायालय ने उपहार सिनेमा अग्निकांड पीड़ितों के संगठन की अध्यक्ष को कथित रूप से धमकी देने के आरोप में दर्ज आपराधिक कार्यवाही निरस्त करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया.
न्यायमूर्ति ए आर दवे और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने उच्च न्यायालय का 14 जुलाई का आदेश बरकरार रखा. उच्च न्यायलय ने अंसल बंधुओं तथा दो अन्य के खिलाफ अपराध का संज्ञान लेने के निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया था.
पीठ ने कहा, \'\'हमें इसमें कोई दम नजर नहीं आया.\'\'
उपहार अग्निकांड पीड़ितों के संगठन की अध्यक्ष नीलम कृष्णामूर्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के टी एस तुलसी ने दलील दी कि प्रारंभ में ही इस मामले को दरकिनार करके उच्च न्यायालय ने गलती की. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने इस मामले के सारे साक्ष्यों को ही नजरअंदाज कर दिया.
कृष्णामूर्ति ने आरोप लगाया था कि उन्हें और उनके पति को पटियाला हाउस अदालत परिसर में दीपक कथपालिया ओर प्रवीण शर्मा ने 10 मई, 2007 को परेशान किया जब वे अदालत कक्ष से बाहर आ रहे थे. कृष्णामूर्ति उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले की सुनवाई में हिस्सा लेने गयी थी.
कथपालिया और शर्मा पर आरोप था कि उन्होंने कृष्णामूर्ति के प्रति अश्लील टिप्पणियां कीं और उनकी तस्वीर खीचीं.
निचली अदालत ने 19 जून को अंसल बंधुओं सहित चार आरोपियों के खिलाफ इस मामले का संज्ञान लिया था. लेकिन उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी और बाद में इसे निरस्त कर दिया.
हिन्दी फिल्म बार्डर के प्रदर्शन के दौरान 13 जून, 1997 को सिनेमाघर में हुयी भगदड़ में 59 व्यक्तियों की दम घुंटने से मृत्यु हो गयी थी और एक सौ से अधिक दर्शक जख्मी हो गये थे.
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