बॉब से अवैध फंड ट्रांसफर मामले में छह गिरफ्तार

Last Updated 14 Oct 2015 06:30:15 AM IST

बैंक ऑफ बड़ौदा से 6,000 करोड़ रुपए अवैध रूप से हांगकांग भेजने के कथित मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने यहां छह लोगों को गिरफ्तार किया है.


बैंक ऑफ बड़ौदा से अवैध फंड ट्रांसफर मामले में छह गिरफ्तार

इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा की एक शाखा के दो अधिकारी भी शामिल है.

सीबीआई सूत्रों ने बताया कि बॉब की अशोक विहार स्थित शाखा में विदेशी मुद्रा विनिमय डिवीजन का कामकाज देखने वाले सहायक महाप्रबंधक (एजीएम) एसके गर्ग और जैनिश दुबे को गिरफ्तार किया गया है. दोनों को आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है.

वहीं दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय ने एचडीएफसी बैंक के एक कर्मचारी सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है. ईडी ने मंगलवार को यहां अपने कार्यालय में लंबी गहन पूछताछ के बाद एचडीएफसी बैंक की विदेशी विनिमय शाखा में कार्यरत कमल कालरा को गिरफ्तार किया. इसके अलावा चंदन भाटिया, गुरचरण सिंह धवन और संजय अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया है. इस बारे में एचडीएफसी बैंक को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिला.

सूत्रों ने दावा किया कि एजेंसी के पास प्रथम दृष्टया उनकी कथित भूमिका और अवैध धन भेजे जाने से उन्हें हुए वित्तीय लाभ की जानकारी थी. अभी इनकी जांच चल रही है. दोनों अधिकारियों को इस मामले में गहन पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया है.

सीबीआई की एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 59 चालू खाता धारकों व अज्ञात बैंक अधिकारियों ने साजिश कर विदेश में धन अंतरण किया. ज्यादातर धन हांगकांग भेजा गया. करीब 6,000 करोड़ रुपए की राशि स्थापित बैंकिंग नियमों का उल्लंघन कर अवैध और अनियमित तरीके से भेजी गई. यह राशि ऐसे आयात के लिए भेजी गई, जो हुआ ही नहीं.

सीबीआई ने पाया कि जुलाई, 2014 से जुलाई, 2015 के दौरान करीब 8,000 लेनदेन के जरिये 6,000 करोड़ रुपए की राशि विदेश भेजी गई. सीबीआई धन स्थानांतरण के मामले में भ्रष्टाचार की जांच कर रही है. ईडी इस मामले में मनी लांड्रिंग और हवाला के पहलू की जांच कर रहा है. प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों ने इसे व्यापार आधारित मनी लांड्रिंग का मामला बताया जिसमें आरोपी व्यापारियों ने सीमा शुल्क और करों की चोरी के जरिये काली कमाई की.

प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों ने कहा कि ये सभी कम से कम 15 फर्जी कंपनियों के लिए बिचौलिये का काम करते थे. यह मामला हाल में प्रकाश में आया. इसमें कुल मिलाकर 59 कंपनियां शामिल लगती है. इसकी जांच सीबीआई कर रही है. सूत्रों ने बताया कि चारों व्यक्तियों ने आपस में कथित रूप से सांठगाठ कर हांगकांग में फर्जी कंपनियां और व्यावसायिक इकाइयां बनाईं. उन्होंने निर्यात का मूल्य बढ़ाकर दिखाया और बाद में ड्यूटी ड्रा-बैक के लिए दावा किया.

मनी लांड्रिंग रोधक कानून (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय की जांच में दावा किया गया है कि एचडीएफसी के कर्मचारी ने कथित तौर पर भाटिया और अग्रवाल को बॉब के जरिये धन भेजने में मदद की. उसे विदेश भेजे गए प्रत्येक डालर पर 30 से 50 पैसे का कमीशन दिया गया. भाटिया ने कथित रूप से भारत में कंपनियों के गठन में भूमिका निभाई और वह हांगकांग में कंपनियों को धन भेजता था. वह रेडिमेड गारमेंट्स के निर्यातक धवन के साथ मिला हुआ था.



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