मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डीयू के वीसी को छुट्टी पर भेजने की सिफारिश की

Last Updated 08 Oct 2015 06:10:00 PM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जबरन छुट्टी पर भेजने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की लेकिन कुछ घंटे के भीतर ही अनुरोध वापस ले लिया.


एचआरडी मंत्री स्मृति इरानी और डीयू के वीसी दिनेश सिंह (फाइल फोटो)

डीयू के वीसी दिनेश सिंह की सेवानिवृत्ति के मुश्किल से तीन हफ्ते बाकी रहने के बीच समझा जाता है कि एचआरडी ने उन्हें जबरन छुट्टी पर भेजने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश की लेकिन कुछ घंटे के भीतर ही अनुरोध वापस ले लिया.

कुलपति ने चयन समिति में अगले वीसी की लिए इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन के नाम का कथित तौर पर समर्थन किया, वहीं वह खुद मानद प्रोफेसर रहेंगे.

मंत्रालय ने विश्वविद्यालय से कस्तूरीरंगन की जगह दूसरे नाम की सिफारिश भी करने को कहा हालांकि डीयू ने इस तरह की कोई सूचना मिलने से इंकार किया. ताजा घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जताते हुए सिंह ने राष्ट्रपति भवन को मंत्रालय के पत्र के बारे में अनभिज्ञता प्रकट की.

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, \'\'हमें अब तक कस्तूरीरंगन के स्थान पर किसी दूसरे नाम के लिए कहने की सूचना नहीं मिली है. अगर हमें ऐसी सूचना मिलती है तो उस हिसाब से कदम उठाएंगे.\'\' यह घटनाक्रम सिंह के कुलपति के तौर पर 28 अक्तूबर को उनकी सेवानिवृत्ति के ठीक पहले हुआ है.

हालांकि, मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही प्रवक्ता ने ताजा घटनाक्रम पर बयान देने से इंकार कर दिया. लेकिन सूत्रों ने बताया है कि मंत्रालय ने (केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विजिटर) राष्ट्रपति को भेजा गया अनुरोध इसलिए वापस ले लिया क्योंकि राष्ट्रपति भवन उनकी सेवानिवृत्ति के कुछ सप्ताह पहले इस तरह का कदम उठाने के लिए तैयार नहीं था.

सिंह और मंत्रालय के बीच चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) पर पहले भी टकराव हो चुका है और मंत्रालय ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर कार्यक्रम के लिए पहले अनुमति नहीं ली थी.

हालांकि, उनके जवाब के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गयी. इसाइल और जॉर्डन के लिए राष्ट्रपति के दौरे के साथ जाने वाले प्रतिनिधिमंडल से उनका नाम हटा दिया गया क्योंकि मंत्रालय का मानना है कि उनके द्वारा हस्ताक्षरित एमओयू मायने नहीं रखता.

के कस्तूरीरंगन प्रकरण के बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि विश्वविद्यालय का कानून इसकी इजाजत नहीं देता कि विश्वविद्यालय से जुड़ा प्रोफेसर नये वीसी की नियुक्ति के लिए चयन समिति में नामांकित किया जाए.

हालांकि, सिंह ने तर्कों को खारिज किया कि कस्तूरीरंगन का नाम जानबूझकर लिया जा रहा जिससे कि विवाद पैदा हो और नये वीसी की नियुक्त में देरी से उन्हें पद पर कुछ और समय रहने का मौका मिल जाएगा.

उन्होंने कहा, \'\'28 अक्तूबर के बाद मैं एक दिन भी नहीं रहूंगा ना ही इस संबंध में कोई पेशकश स्वीकार करूंगा.\'\'

 



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