डीयू में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश

Last Updated 31 Jul 2015 06:19:58 AM IST

क्राइम ब्रांच ने नर्सरी कक्षा में ईडब्ल्यूएस कोटे से एडमिशन रैकेट के पर्दाफाश के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के नामी कॉलेजों में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने वाला एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है.


डीयू में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश

पुलिस ने इस मामले में डीयू के एक छात्र समेत चार आरोपियों को धर दबोचा है. पकड़े गए आरोपियों की पहचान गैंग सरगना सुनील पंवार उर्फ गुरुजी (41), मो. जुबैर (25), प्रवीन झा (35) और रंचित खुराना (30) के तौर पर की गई. इनमें मो जुबैर अरविंदो कॉलेज का छात्र है. पुलिस ने गहन जांच उपरांत दावा किया कि यह गैंग कम अंकों की वजह से जिन छात्रों का डीयू के विभिन्न कॉलेजों में दाखिला नहीं हो पाता था, उन लोगों को फर्जी कागजात के आधार पर नामी कॉलेज में दाखिला करा देते थे. यह गैंग प्रति छात्र तीन से सात लाख रुपए नकद लेकर डीयू के विभिन्न कॉलेजों में एडमिशन कराता था.

संयुक्त  पुलिस आयुक्त रविंद्र यादव के अनुसार बुधवार को उनकी टीम को सूचना मिली थी कि डीयू के नॉर्थ और साउथ कैंपस के विभिन्न कॉलेजों में फर्जी तरीके से एडमिशन कराने वाले एक गैंग के कुछ सदस्य मेन मार्केट मालवीय नगर के पास आने वाले हैं और इस जानकारी के बाद अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार,डीसीपी भीष्म सिंह, एसीपी केपीएस मल्होत्रा और इंस्पेक्टर पंकज सिंह की टीम ने एक कार समेत सुनील पंवार, मो. जुबैर और रंचित खुराना को दबोच लिया. तीनों आरोपियों से गहन पूछताछ के बाद वेस्ट विनोद नगर स्थित एक मकान पर छापा मारकर गैंग के एक अन्य सदस्य प्रवीन झा को दबोचा गया.

पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों के कब्जे से भारी मात्रा में खाली मार्कशीट, तैयार डिग्री, जाति प्रमाण पत्र, 40 मुहरें, अन्य कागजात, कंप्यूटर, प्रिंटर बरामद हुआ. आरोपियों ने खुलासा किया कि पिछले तीन -चार सालों से वह एडमिशन रैकेट चला रहे हैं. इस साल इन लोगों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों में कुल 25 छात्रों के दाखिले करवाए. इन लोगों ने हिन्दू कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, अरविंदो कॉलेज (संध्या), दयाल सिंह कॉलेज (संध्या) दयाल सिंह कॉलेज (मॉर्निग), रामलाल कॉलेज, डीएवी कॉलेज, भगत सिंह कॉलेज और कमला नेहरू कॉलेज में दाखिले कराए हैं.

पुलिस ने दावा किया कि यह गैंग पहले तो उन छात्रों की तलाश करते, जिनका कम अंक होने के चलते एडमिशन नहीं हो पाता था, बाद में उनसे मोटी रकम लेकर फर्जी कागजात के आधार पर विभिन्न कॉलेजों में दाखिला दिलवा दिया जाता था. इनमें प्रवीण झा फर्जी (दस्तावेज तैयार करने में गैंग की मदद करता था.  पुलिस फिलहाल गैंग के द्वारा किए गए खुलासे के आधार पर उन छात्रों की तलाश में है, जिन्होंने जानबूझ कानून विरोधी कार्य किया. पुलिस ऐसे कॉलेज प्रशासन से संपर्क करने में भी जुटी हुई है.

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस फजीवाड़े में कॉलेज कर्मियों की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता. यह भी खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने कॉलेज में दाखिले के अलावा विभिन्न विविद्यालयों के प्रमाणपत्र भी फर्जी बनाए हैं और  निजी कंपनियों में नौकरी करने वाले सैकड़ों लोगों को उनलोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र तथा ड्रिगी भी मुहैया कराए हैं. पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि  वह अधिकांश मामलों में उत्तर प्रदेश और बिहार बोर्ड के फर्जी दस्तावेज तैयार कराते थे ताकि कॉलेज प्रशासन आसानी से उनके फर्जी दस्तावेजों को पकड़ न पाएं.
आरोपियों ने अपने फर्जीवाड़े को सही साबित करने के लिए एक फर्जी वेबसाइट भी बना रखी थी.

पुलिस ने दावा किया कि इस गैंग ने बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश बोर्ड की फर्जी वेबसाइट बना रखी थी और बनाए गए फर्जी दस्तावेज को इसी वेबसाइट पर डाला जाता था ताकि कॉलेज प्रशासन दस्तावेज की सत्यता के लिए जब वेबसाइट खोले तो उन्हें दस्तावेज के फर्जी होने का शक न हो. पुलिस के अनुसार इस गिरोह ने हिन्दू व किरोड़ीमल में एक-एक, अरविंदो में तीन, दयाल सिंह में दो, रामलाल आनंद में दो, डीएवी में एक , कमला नेहरू में एक तथा भगत सिंह में दस से अधिक एडमिशन के बारे में खुलासा हुआ है.



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