दिल्ली शहरी विकास एजेंसी बनाने के मसौदे को हरी झंडी

Last Updated 08 Jul 2015 05:38:39 AM IST

दिल्ली सरकार ने दिल्ली शहरी विकास एजेंसी (डूडा) बनाने के मसौदे को मंजूरी दे दी है.


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

एमएलएलैड फंड, सिटिजन लोकल एरिया डवलपमेंट फंड, अनधिकृत कालोनियों के सारे विकास कार्य योजना तथा मेरी दिल्ली मैं संवारूं जैसे इकाइयों से सम्बन्धित सारे विकास कार्यों  का कार्यान्वयन तथा मानिटरिंग अब इसी एजेंसी के पास होगी. पिछले महीने भर से इस एजेंसी के कार्य निर्धारण की प्रक्रिया शहरी विकास विभाग द्वारा बनाई जा रही थी जिसे मंगलवार को मूर्त रूप दे दिया गया तथा दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी दे दी है.

एजेंसी बनाने की प्रक्रिया के पीछे मूल उद्देश्य यह है कि जिला कलेक्टर या उपायुक्त अपने जिले में उपयरुक्त सारी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेवार होंगे, यानि एमएलए किसी काम को लेकर सचिवालय न आएं, उन्हें सीधे निकटवर्ती उपायुक्त कार्यालय जाना होगा. एमएलएलैड जैसी योजना में प्रत्येक विधायक को चार करोड़ की राशि हर वर्ष मिलती है. इसलिए प्रत्येक जिले के लोक निर्माण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय को भी अब उपायुक्त के अन्दर काम करना होगा.

एक कार्यपालक अभियंता को जिलाधिकारी के अन्दर काम पर लगाया जाएगा जो उस जोन के मुख्य अभियंता के साथ तकनीकी तौर पर जुड़ा रहेगा, लेकिन उन पर प्रशासनिक कंट्रोल उपायुक्त का ही होगा. यह दिल्ली शहरी विकास एजेंसी (डूडा) का इंजीनियरिंग विभाग होगा जो सभी बड़ी परियोजना के कार्यान्वयन के साथ-साथ मानिटरिंग का काम भी करेगा.

जहां भी भूमि की आवश्यकता होगी, वहां डूडा ही जमीन लेने के लिए निर्धारित एजेंसी से बात कर काम शुरू करेगा.

इसके अलावा विधायकों के लिए विकास कार्य शुरू करने की नई प्रक्रिया भी निर्धारित कर दी गई है. विधायकों को फंड इस्तेमाल करने के लिए नोडल जिले का नाम तय किए फार्मेट में भरना होगा. विधायक को निर्धारित काम नए साफ्टवेयर में भरना होगा. फिर उक्त कार्य का एस्टीमेट व प्रारूप तैयार किया जा सकेगा. विधायक अपने क्षेत्र के लोगों से बात कर ही काम का निर्धारण करेंगे. जैसे ही काम का प्रारूप व एस्टिमेट तय होगा, विधायक उसे पुन: साफ्टवेयर पर अपलोड करेंगे, जिसके बाद निर्धारित कार्य के लिए फंड का आवंटन तुरन्त हो सकेगा.

सनद रहे कि डूडा के अन्तर्गत विधायक फंड में से एक करोड़ रुपए हर विधायक को जल बोर्ड को पानी की सुविधा सुनिश्चित करने तथा क्षेत्र में सफाई के काम के लिए देना होगा. इसके अलावा शेष तीन करोड़ रुपए विधायक किसी भी विकास योजना में खर्च करने के लिए अधिकृत होंगे. इस तीन करोड़ की राशि को दिल्ली सरकार का वित्त विभाग 1.5 करोड़ की दो किस्तों में सम्बन्धित जिला उपायुक्त कार्यालय को भेजेगा, लेकिन पहले 1.5 करोड़ की राशि मिलने पर इसका 80 प्रतिशत खर्च होने के बाद ही 1.5 करोड़ की दूसरी किस्त जारी होगी.

यानि नई गाइड लाइन के मुताबिक पहले 1.5 करोड़ खर्च करें तभी शेष राशि को खर्च करने की बात विधायक कर पाएंगे. कुल मिलाकर एक करोड़ जल बोर्ड के कामों के लिए देने के बाद विधायकों पर यह दबाव बनेगा कि पहले वे 1.5 करोड़ की योजना बनाकर काम करें, कम से कम 80 प्रतिशत खर्च दिखाएं, तभी शेष राशि के  लिए नई परियोजना बनाना मुमकिन होगा.

शहरी विकास विभाग द्वारा बनाई गई नई रूपरेखा के अनुसार उपायुक्त कार्यालय में डूडा द्वारा प्रत्येक विधायक का अलग अलग बैंक अकाउंट खोला जाएगा तथा हर विधायक द्वारा राशि खर्च होने पर कौन सा काम हुआ इसका विस्तृत लेखा जोखा भी तैयार किया जाएगा, लेकिन अगर कोई विधायक अपने निधि का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाता है तो डूडा के अधिकारी विधानसभा की अवधि समाप्त होने पर शेष राशि दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को भेज देंगे.

दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने दिल्ली सरकार को सलाह दी है कि डूडा को पर्याप्त इंजीनियरिंग अधिकारी तथा स्थानीय स्तर के अधिकारी उपलब्ध कराए जाने चाहिए. यानि नई संरचना बनाने के बाद अब इसके लिए पर्याप्त अधिकारी की नियुक्त का प्रश्न महत्वपूर्ण है.

संजय के झा
एसएनबी


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