मानसून सत्र में पेश होगा जनलोकपाल बिल!

Last Updated 04 Jul 2015 06:44:55 AM IST

आप सरकार आगामी मानसून सत्र के दौरान जनलोकपाल बिल पेश करने की तैयारी में है.


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

इस महत्वाकांक्षी बिल का मसौदा खुद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की देखरेख में तैयार किया जा रहा है. मुख्य बात यह है कि जनलोकपाल बिल को लेकर दिल्ली सरकार केंद्र से टकराव नहीं लेना चाहती. लिहाजा विधानसभा पटल पर रखने से पहले ही इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा.

दिल्ली इकाई के संयोजक दिलीप पांडेय ने तंज कसते हुए कहा कि सदन में पेश करने से पहले सारी तथाकथित औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाएंगी. दरअसल अन्ना हजारे के आंदोलन से पैदा हुई आप के लिए जनलोकपाल कानून बड़ा मुद्दा रहा है. पिछली बार सदन में पेश करने से नाकाम रहने पर ही अल्पमत की आप सरकार ने इस्तीफा दे दिया था. इस बार भी सात बिंदुओं के चुनावी एजेंडे में सबसे ऊपर जनलोकपाल बिल को रखा गया था.

सूत्रों की मानें तो सरकार की कोशिश है कि कमोवेश उसी बिल को सदन में रखा जाए, जिसका ड्राफ्ट अन्ना आंदोलन के दौरान तैयार किया गया था. थोड़ा बदलाव लोकायुक्त की अभियोजन पक्ष की शक्तियों में किया जा रहा है. फिलहाल कानून विभाग बिल को अंतिम रूप देने में जुटा है. इस पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की खास नजर है.

वह कानून विशेषज्ञों से रोजाना की प्रगति की जानकारी ले रहे हैं. जहां जरूरत पड़ रही है केजरीवाल  अपनी सलाह भी रखते हैं. प्रदेश संयोजक दिलीप पांडेय का कहना है कि हमारी कोशिश बीते सत्र में ही बिल सदन में लाने की थी. लेकिन बजट तैयार करने की व्यस्तता में मुमकिन नहीं हो सका. आने वाले सत्र में बिल पेश करने की पूरी उम्मीद है. इस बार बिल सदन में पेश करने से पहले सारी प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया जाएगा.

शिक्षा अधिनियम-1973 संशोधन बिल भी सदन में आएगा

दिल्ली सरकार शिक्षा पण्राली में बदलाव के लिए तैयार हो रहे संशोधन बिल को भी आने वाले सत्र में पेश करेगी. इसमें खास जोर प्राइवेट स्कूलों के नियमन पर होगा. सूत्र बताते हैं कि इस मामले में सरकार राजस्थान व तमिलनाड़ु मॉडल का अध्ययन कर रही है. विशेषज्ञों का जोर तमिलनाड़ु मॉडल पर है. हालांकि इसमें अड़चन बगैर सरकारी सहायता से मिली जमीन पर चल रहे स्कूलों के नियमन पर है. मुमकिन है कि सरकार डीईआरसी की तरह प्राइवेट स्कूलों के नियमन के लिए एक नियामक आयोग का गठन करे.

दस सदस्यीय होगा जनलोकपाल आयोग

जनलोकपाल बिल 2015 के तहत एक चेयरमैन की नियुक्ति होगी. जबकि 6-10 तक सदस्य होंगे. सदस्यों में पचास फीसद आरक्षित श्रेणी व महिलाओं की होगी. चेयरमैन की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी करेगी. इसमें नेता प्रतिपक्ष, उच्च न्यायालय के दो जज, पिछले चेयरमैन में से एक होगा. नया कानून बनते ही दिल्ली लोकायुक्त/उपलोकायुक्त अधिनियम, 1995 व दिल्ली समयबद्ध सेवा अधिनियम, 2011 खुद ही खत्म हो जाएगा. वहीं, सभी पुराने केस (जनलोकपाल के दायरे में आ जाएगा. नए कानून में लोकायुक्त के पास जांच अधिकारी की नियुक्ति से लेकर भ्रष्टाचार जांच के लिए भवन के सर्च वारंट जारी करने, किसी ठेके को रद्द करने, व्हीशलब्लोअर (पोल खोलने वाला) की सुरक्षा, ईमानदार अधिकारी को ईनाम देने का कानून बनाने का भी अधिकार होगा. कानून के लागू होने पर सरकारी कर्मी को प्रत्येक 31 जनवरी को प्रॉपर्टी की सूचना देनी होगी.

रविशंकर तिवारी
एसएनबी


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