अधिसूचना के खिलाफ केजरीवाल सरकार ने खोला केंद्र के खिलाफ मोर्चा
केन्द्र सरकार की ओर से 21 मई को जारी एलजी के संवैधानिक अधिकारों से संबंधित अधिसूचना के खिलाफ आम आदमी पार्टी सरकार ने मोर्चा खोल दिया है.
दिल्ली विधानसभा में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. |
आप सरकार ने मंगलवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अधिसूचना पर सदन में चर्चा शुरू कराकर अधिसूचना को अलोकतांत्रिक बताया तथा केन्द्र सरकार पर दिल्ली विधानसभा के अधिकारों का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया. आप सरकार के पूर्व मंत्री की ओर से इस अधिसूचना को अवैध घोषित करने का प्रस्ताव भी पेश किया गया. चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के तमाम विधायकों ने जहां उपराज्यपाल पर केन्द्र के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया तो वहीं केन्द्र की अधिसूचना रद्द करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने पर बल दिया.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने 21 मई को एक अधिसूचना जारी कर दिल्ली में आईएएस व आईपीएस अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि दिल्ली में लोक व्यवस्था, पुलिस, सेवा व भूमि पर उपराज्यपाल का अधिकार है. केन्द्र सरकार की अधिसूचना में कहा गया कि लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि और सेवा दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की विधानसभा के दायरे से बाहर है और इसलिए दिल्ली की एनसीटी सरकार के पास इन विषयों पर कोई कार्यकारी शक्ति नहीं है. केन्द्र सरकार के इस अधिसूचना से खफा आम आदमी पार्टी सरकार ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा का आज दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया. सत्र के पहले दिन ही उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नियम 107 के तहत केन्द्र सरकार की इस अधिसूचना पर चर्चा कराने का प्रस्ताव सदन में पेश किया.
सिसोदिया ने कहा कि केन्द्र सरकार की अधिसूचना विधानसभा के अधिकारों का अतिक्रमण है. उन्होंने कहा यह अधिसूचना संविधान की लोकतांत्रिक आत्मा को दरकिनार करके किया गया है. उन्होंने सवाल किया कि क्या एक अधिसूचना के जरिए संविधान में संशोधन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा केन्द्र की इस असंवैधानिक अधिसूचना पर चुप नहीं रहेगी.
संविधान में दिल्ली सरकार को जो अधिकार दिए गए हैं यदि उन अधिकारों पर कोई हमला होता है तो सदन के सभी सदस्यों को पार्टी स्तर से ऊपर उठकर विरोध करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली में अघोषित राष्ट्रपति शासन लगाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अधिसूचना पर विधानसभा में चर्चा कराने की मांग की जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने यह प्रस्ताव सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जिसे ध्वनिमत से पारित कराकर चर्चा की शुरुआत कर दी गई. चर्चा के दौरान आप विधायकों ने एक के बाद एक जहां अधिसूचना को अवैध बताया वहीं पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती ने नियम 293 के तहत केन्द्र की अधिसूचना को अवैध घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया.
चर्चा पर बोलते हुए आप विधायक कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में प्रचंड बहुमत से चुनी हुई सरकार को क्या अपने अधिकारियों की नियुक्ति का भी अधिकार नहीं होगा. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार जानबूझ कर दिल्ली विधानसभा की शक्तियों को कमजोर कर रही है. उन्होंने बताया कि सरकार ने संविधान विशेषज्ञों सुब्रमण्यम, वेणुगोपालन तथा जय सिंह से राय ली है और तीनों विशेषज्ञों ने अधिसूचना को अवैधानिक बताया है. राजौरी गार्डन के विधायक जरनैल सिंह ने कहा कि यह अधिसूचना देश के इतिहास में काली अधिसूचना है. भावना गौड़ ने कहा कि इस अधिसूचना से दिल्ली के विधायक स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं.
राजेश गुप्ता का कहना था कि यह अधिसूचना जारी कर केन्द्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा का अपमान किया है. विधायक इमरान हुसैन ने दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग की. अलका लांबा ने एलजी पर केन्द्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया. गुलाब सिंह व अनिल वाजपेयी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा को कमजोर करने की किसी साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा.
भाजपा विधायक को मार्शल से विस से निकलवाया
दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष पर आलोचनात्मक टिप्पणी करने के बाद भाजपा विधायक ओपी शर्मा को मंगलवार को मार्शल के माध्यम से सदन से निकाल दिया गया. भाजपा विधायक ने जब विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल की आलोचना की तो उन्होंने मार्शल को शर्मा को सदन से निकालने का आदेश दिया. भाजपा विधायक की टिप्पणियां रिकार्ड से हटा दी गईं. इससे पहले, शर्मा ने आप विधायक अलका लांबा पर हमला किया. लांबा ने केंद्र सरकार और उप राज्यपाल नजीब जंग पर दिल्ली सरकार की शक्तियां छीनने का आरोप लगाया था.
गृह मंत्रालय ने विधि विशेषज्ञों से राय लेनी शुरू की
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ मामलों में उपराज्यपाल को असीम शक्तियां प्रदान करने संबंधी उसकी अधिसूचना को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा संदिग्ध करार दिए जाने के बाद विधि विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा शुरू कर दिया है.
गृह मंत्रालय दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र पर भी करीब से नजर रख रहा है जहां उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने अधिसूचना जारी किए जाने को विधानसभा चुनाव में दिए गए शहर के लोगों के भारी जनादेश का अपमान करार देते हुए एक प्रस्ताव पेश किया.
मंत्रालय के अधिकारियों ने अधिसूचना के विभिन्न पहलुओं तथा केके वेणुगोपाल और गोपाल सुब्रमण्यम जैसे विधिवेत्ताओं द्वारा दिल्ली सरकार को दी गयी राय पर कई प्रख्यात अधिवक्ताओं से सलाह-मशविरा किया. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, सभी विकल्प खुले हैं.
चूंकि सोमवार का आदेश दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ की ओर से आया है, ऐसे में खंडपीठ में जाने या उच्चतम न्यायालय में जाने के विकल्प खुले हैं. लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है. हम अभी अध्ययन कर रहे हैं.
अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए तबादलों से कोई समस्या नहीं है क्योंकि उन्हें सचिव स्तर से नीचे के अधिकारियों में फेरबदल करने का अधिकार है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र की हालिया अधिसूचना को संदिग्ध करार दिया था जिसके जरिए दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा को आपराधिक मामलों में इसके अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया गया था.
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