दिल्ली पुलिस की जांच में फंस सकते हैं केजरीवाल व सिसोदिया

Last Updated 25 Apr 2015 05:52:40 AM IST

आप की किसान रैली में राजस्थान के किसान गजेन्द्र की मौत को लेकर अब दिल्ली सरकार व दिल्ली पुलिस में सीधा टकराव शुरू हो गया है.


शुक्रवार को जंतर-मंतर पर जांच करने गए अधिकारी.

मजिस्ट्रेट से जांच कराने के लिए हालांकि उपराज्यपाल की अनुमति जरूरी है, लेकिन  सरकार ने मजिस्ट्रेट से जांच शुरू  करा दी है तो पुलिस ने भी एफआईआर दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है. एक ही घटना की दो सामानांतर जांच के बीच भले ही मजिस्ट्रीयल जांच में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित आप नेताओं पर कोई उंगली न उठाई जाए, लेकिन पुलिस की जांच में रैली के दौरान मंच पर मौजूद रहे सभी नेताओं को कटघरे में किया जा सकता है.’

भारतीय दंड संहिता 1973 की धारा 174 के अनुसार यदि पुलिस को किसी भी आत्महत्या, मशीनरी आदि से मौत या संदिग्ध परिस्थितियों में एवं अप्राकृतिक मौत की सूचना पुलिस को मिलती है तो पुलिस तत्काल इसकी सूचना उपजिलाधिकारी को देगी. आम तौर पर इस सूचना के बाद पुलिस अपने स्तर पर जांच करती है. दिल्ली चूंकि पूर्ण राज्य नहीं है, इसलिए यदि सरकार किसी मामले में मजिस्ट्रेट से जांच कराना चाहती है तो प्रशासक के रूप में उपराज्यपाल से अनुमति ली जाती है. संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि उपराज्यपाल की अनुमति से ही मजिस्ट्रेट से जांच कराई जा सकती है.

उक्त घटनाक्रम में आप नेताओं व कार्यकर्ताओं की भूमिका पर जिस तरह सवाल उठाये जा रहे हैं उसे देखते हुए भविष्य में यह घटना आप नेताओं के लिए महंगी पड़ सकती है. संविधान के अनुसार पुलिस को मामले में न केवल एफआईआर दर्ज करने का अधिकार है बल्कि जांच करने का भी अधिकार है. जिस समय गजेन्द्र की मौत हुई उस समय रैली के लिए बनाये गये मंच पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया, दिल्ली सरकार के अन्य केबिनेट मंत्री तथा प्रमुख आप नेता भी मौजूद थे. तमाम नेताओं के भाषणों के फुटेज लगातार टीवी चैनलों पर दिखाये जा रहे हैं जो पुलिस जांच में साक्ष्य के रूप में पेश किये जा सकते हैं.

इस मामले में सरकार की ओर से मजिस्ट्रेट द्वारा जांच कराये जाने के बाद दिल्ली पुलिस व दिल्ली सरकार में पहले से ही चल रही जंग अब और तेज होती दिखाई दे रही है. संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि इस जंग में दिल्ली सरकार को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उपराज्यपाल ही दिल्ली के संवैधानिक प्रशासक हैं और दिल्ली पुलिस भी उपराज्यपाल के ही अधीन है. संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि जिला प्रशासन को दिल्ली पुलिस को कोई आदेश देने का अधिकार नहीं है.

हालांकि सीआरपीसी की धारा 174 राज्य सरकार व जिला मजिस्ट्रेट को जांच करने, पुलिस को निर्देश देने का अधिकार देती है लेकिन यह अधिकार पूर्ण राज्य की सरकार पर लागू नहीं होता है.  इस पूरे मामले में अब न सरकार झुकने को तैयार है और न ही दिल्ली पुलिस झुकती दिखाई दे रही है. जिलाधिकारी संजय कुमार कह चुके हैं कि वह पुलिस के खिलाफ भी जांच में सहयोग न करने के आरोप में कार्रवाई करने के लिए कानूनी राय ले रहे हैं.

संजय टुटेजा
एसएनबी


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment