दिल्ली में गुटखा और जर्दा बंद, सिगरेट बैन के दायरे से बाहर
राजधानी में लगता है आम आदमी की दुहाई देने दिल्ली सरकार ने तम्बाकू निर्माता कंपनियों के आगे घुटने टेक दिए हैं.
दिल्ली में गुटखा और जर्दा बैन (फाइल फोटो) |
दिल्ली में चबाए जाने वाले तंबाकू उत्पादों पर पूरी तरह से बैन लगाने संबंधी नोटिफिकेशन सोमवार को वह जारी करेगी, लेकिन सिगरेट को अभी बैन के दायरे में नहीं लाया गया है. ऐसे में जानकारों का कहना है कि यह दिल्ली को तम्बाकू फ्री बनाने की राह में अधूरी पहल है. उनकी माने तो सिगरेट गुटखा, जर्दा जैसे उत्पादों से ज्यादा खतरनाक है.
लोगों की मांग है कि सिगरेट की बिक्री, खरीद और भंडारण पर भी रोक लगाई जाए. यह भी एक तरह से तंबाकू उत्पाद ही है जो फेफड़े में कैंसर (लंग कैंसर) के साथ के कई बीमारयों के लिए जिम्मेदार है. इसकी गिरफ्त में युवा वर्ग तेजी से आ रहा है. इनमें 70 फीसद कुल आने वाले मामलों में से 35 साल से कम आयु वर्ग के किशोर एवं युवा है.
एम्स के आईआरसीएच द्वारा तैयार की गए एक पेशेंट कैंसर रजिस्ट्री (पीसीआर) में यह खुलासा हुआ. विशेषज्ञों का कहना है कि गुटखा, जर्दा जितना मानव शरीर की सेहत के लिए घातक है उससे कहीं ज्यादा घातक है सिगरेट. इसलिए सरकार यदि सचमुच लोगों की सेहत के प्रति संवेदनशील है तो उसे चाहिए कि नये कानून में सिगरेट की बिक्री पर भी पाबंदी लगाए.
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सिगरेट बनाने वाली कंपनियों के दबाव में आकर सरकार ने संभवत: ऐसा निर्णय लिया है. उसे इस गंभीर विषय पर गंभीरता पूर्वक सोचना चाहिए.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव डा. केके अग्रवाल का कहना है कि ‘तम्बाकू मुक्त दिल्ली’ बनाने की राह में तंबाकू उत्पादों पर बैन लगाया जाना अच्छा कदम है. हालांकि आगे सिगरेट को भी बैन करने की योजना बननी चाहिए. वहीं पान मसाला, खैनी और जर्दा बेचने वालों ने भी कहा कि अगर बैन ही करना है तो सिगरेट पर भी बैन लगना चाहिए.
सिगरेट पीने वालों की सेहत ज्यादा खराब
बल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में सन तंत्रिका, पेफड़े, फफूदी, एलर्जी विभाग के अध्यक्ष डा. राजकुमार है कि सिगरेट के धुएं में सैकड़ों जहरीले केमिकल और जहरीले गैस होती हैं जो कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा इनसे हार्ट डिजीज, एलर्जी, सांस लेने की बीमारी, बीपी की समस्या भी हो सकती है. सिगरेट पीने वालों में सांस की बीमारी, बीपी की समस्या भी हो सकती है. सिगरेट के धुएं में टार होता है, जिसमें 4 हजार से ज्यादा खतरनाक केमिकल होते हैं. इनमें से 43 केमिकल तो ऐसे हैं जिनसे कैंसर हो सकता है. इसके अलावा सिगरेट के धुएं में नाइट्रोजन डाई आक्साइड और कार्बन मोनोक्साइड जैसी जहरीली गैसे भी होती हैं, जो सीधे तौर पर फेफड़ों में पहुंचकर ब्लड को भी प्रभावित करती हैं. धुएं में सबसे ज्यादा मात्रा में निकोटिन होता है, जिसकी लत लग जाती है.
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