दिल्ली सरकार का बीआरटी कोरिडोर को समाप्त करने का निर्णय
दिल्ली सरकार ने विवादित बीआरटी कारिडोर को समाप्त करने का निर्णय लिया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो) |
यह निर्णय वर्तमान पांच विधायकों की अनुशंसा पर लिया गया है, लेकिन इसे कार्यान्वित करने के लिए मंत्रिमंडल की भी अनुशंसा लेनी होगी.
इस बाबत दिल्ली सरकार ने परिवहन विभाग से रिपोर्ट भी मांगी है कि बीआरटी कारिडोर के निर्माण में कितना खर्च हुआ है, किन उद्देश्यों को लेकर यह परियोजना बनी, क्या यह परियोजना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में कामयाब हुई है, यहां ट्रैफिक समस्या के समाधान के क्या उपाय उपलब्ध हैं, इस परियोजना को जल्दबाजी में क्यों लागू किया गया?
इन सभी बिन्दुओं पर अभी परिवहन विभाग ने पूरी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को नहीं सौंपी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार परिवहन विभाग की रिपोर्ट आने के पूर्व ही बीआरटी कोरिडोर को खत्म करने का फैसला ले लिया गया है, लेकिन दिल्ली सरकार को इसकी औपचारिकता भी पूरी करनी होगी. इस आशय का प्रस्ताव तैयार कर इसे मंत्रिमंडल से अनुमति लेनी होगी, तभी पूर्व मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए बीआरटी कारिडोर के निर्माण के प्रस्ताव को निरस्त किया जा सकेगा.
अरविन्द केजरीवाल ने पिछले वर्ष 49 दिनों के शासन के दौरान भी बीआरटी कारिडोर को समाप्त करने का मन बना लिया था, लेकिन मंत्रिमंडल से इसकी अनुमति लेने के पूर्व ही सरकार ने इस्तीफा दे दिया था. इसलिए इसे समाप्त करने का काम पूरा नहीं हो पाया. इस वर्ष नई सरकार के गठन होते ही इस कोरिडोर के खात्मे की प्रक्रिया शुरू हो गई और परिवहन विभाग को रिपोर्ट देने कहा गया. लेकिन पांच विधायकों की अनुशंसा को आधार बनाकर अब इस विवादित कारिडोर को समाप्त करने पर काम शुरू हो गया है.
इस निर्णय पर आगे अगर कोई विवाद भी पैदा होता है तो आम आदमी पार्टी के पांच विधायक ही जिम्मेवार होंगे जिनकी अनुशंसा पर बीआरटी कारिडोर को समाप्त करने का निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही लगभग पांच किलोमीटर की अम्बेडकर नगर से मूलचंद तक बने इस कोरिडोर को हटाकर ट्रैफिक के बेहतर संचालन की क्या वैकल्पिक व्यवस्था होगी, सरकार को इसका भी तुरन्त हल ढूंढना होगा.
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