अब प्रशांत भूषण का पीएसी को 2014 में भेजा ईमेल आया सामने, कहा था:- मैं रबर स्टांप नहीं रहूंगा

Last Updated 13 Mar 2015 10:05:15 AM IST

आम आदमी पार्टी (आप) के भीतर चल रहे उठापटक के बीच प्रशांत भूषण का पार्टी की पीएसी को पिछले साल भेजा गया एक ई-मेल अब सामने आया है.


प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)

इसमें उन्होंने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया पर नाखुशी जताई थी. उन्होंने कहा था कि वह पार्टी की फैसला करने वाले शीर्ष निकाय में ‘रबर स्टांप’ नहीं रहेंगे.

भूषण के साथ योगेंद्र यादव को इस महीने की शुरूआत में पार्टी की राजनैतिक मामलों की समिति से बाहर कर दिया गया था.

पिछले साल नवंबर में एक ई-मेल संवाद में भूषण ने कहा था कि आप दिल्ली चुनाव जीतने को लेकर इतनी व्यग्र है कि वह उम्मीदवारों का चयन ‘जीतने की क्षमता’ के आधार पर कर रही है.

भूषण ने 28 नवंबर 2014 को पीएसी सदस्यों को भेजे गए अपने ई-मेल में कहा था, ‘‘मेरी स्पष्ट धारणा बन रही है कि इस चुनाव को जीतने की व्यग्रता और संकीर्ण नजरिया कि हम उम्मीदवारों के जीतने की क्षमता को अपना रहे हैं, हम पार्टी के अस्तित्व में आने के बुनियादी कारणों की बलि दे रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि हमने दिल्ली का प्रबंधन अरविंद (केजरीवाल) पर छोड़ने का फैसला किया है लेकिन उम्मीदवारों को मंजूरी देने के लिए पारदर्शिता और उचित अध्यवसाय के न्यूनतम मानदंडों का पालन किए बिना पीएसी में बैठकर मैं मनमाने, गैर पारदर्शी और उम्मीदवारों के चयन पर सवालों के घेरे में आए फैसलों पर रबर स्टांप नहीं रह सकता.’’

भूषण ने कहा, ‘‘मुझे डर है कि मैं खुद को इस प्रक्रिया से अलग कर लूंगा और इस मुद्दे को आपात आधार पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उठाऊंगा जब तक कि तात्कालिक आधार पर सुधार के कदम नहीं उठाए जाते हैं. इतने प्रयासों के साथ बनाए गए इस पार्टी के आदर्शों को मैं किसी भी कीमत पर दिल्ली चुनाव जीतने की व्यग्रता के हाथों बलि चढ़ने की अनुमति नहीं दे सकता.’’

भूषण का जवाब तब आया था जब उन्होंने 27 नवंबर को उम्मीदवारों का बायोडाटा भेजने का अनुरोध किया था. इसपर अगले दिन पीएसी में चर्चा की गई थी. ई-मेल संवाद पार्टी के भीतर दरार को परिलक्षित करता है, जो पिछले साल नवंबर से था. एक अन्य ई-मेल में भूषण और यादव ने चार उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि पर सवाल खड़े किए थे. ये चारों अब पार्टी के विधायक हैं.

10 दिसंबर 2014 के ई-मेल में उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों डीईसीजी (दिल्ली चुनाव समिति समूह) द्वारा चुने गए नए उम्मीदवारों में राजनैतिक उद्यमियों (प्रोपर्टी डीलरों या बिना सार्वजनिक सेवा के राजनीति को करियर के तौर पर लेने वाले धनी उम्मीदवारों) के बढ़ते अनुपात को लेकर चिंतित हैं. यह वैकल्पिक पार्टी के तौर पर हमारी छवि को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है.’’



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