समस्तीपुर बम विस्फोट : ऊपरी अदालत में अपील करेंगे संतोषानंद
वर्ष 1975 में बिहार के समस्तीपुर में हुए इस बम विस्फोट कांड मामले में कड़क़डूमा कोर्ट का फैसला आने के बाद अभियुक्त संतोषानंद ने कहा कि हम इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे.
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित पूर्व रेल मंत्री एलएन मिश्रा की हत्या के मामले में फैसला आने के बाद आरोपियों के समर्थक आनंद मार्गी समुदाय के लोग. |
वर्ष 1975 में बिहार के समस्तीपुर में हुए इस बम विस्फोट कांड मामले की करीब चालीस साल तक चली सुनवाई के लिए जहां सीबीआई अभियुक्तों को देर करने का दोषी ठहराती है वहीं अभियुक्तों की ओर से इसके लिए सीबीआई पर आरोप मढ़ा गया है.
सीबीआई का आरोप था कि यह हत्या तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार के ऊपर अपने आनंदमार्गी नेता को जेल से छुड़वाने के दबाव के चलते की गई थी. यह मुकदमा एक 17 दिसम्बर 1979 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में स्थानांतरित किया गया था और यह देश का पहला मुकदमा था जो कि सबूत मिटाने के डर से किसी राज्य से दिल्ली भेजा गया था.
कड़कड़डूमा अदालत के जिला जज विनोद गोयल के फैसला सुनाने के बाद अभियुक्त संतोषानंद ने कहा कि यह मामला राजनीतिक साजिश का था और वह इसके शिकार बने. उनका कहना था कि हमारी जंग जारी रहेगी क्योंकि यह फैसला कानूनी तथ्यों पर आधारित नहीं है. हम इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे.
सीबीआई की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर एनके शर्मा का कहना है कि यह मामला लंबा खिंचने की वजह ऊपरी अदालतों में बार-बार चुनौती दी गई जबकि अभियुक्तों व बचाव पक्ष की वकील सीमा गुलाटी,एके बाली तथा अनुज कुमार का कहना है कि इतना लंबा मुकदमा सीबीआई की तरफ से देर करने पर खिंचा.
हालांकि सीबीआई इस आरोप से इनकार करते हुए कहती है कि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना था कि देर होने की वजह बार-बार अदालतों में अर्जियां व उनको चुनौती देना रहा. शायद यह ऐसा पहला मुकदमा है जिसे दिल्ली में स्थानांतरित होने के बाद तीन अदालतों, तीस हजारी, पटियाला हाउस व कड़कड़डूमा अदालतों में चला.
इस मामले में बचाव पक्ष के एडवोकेट एके बाली व सीमा गुलाटी ने फैसले को दुभाग्र्यपूर्ण व अप्रत्याशित बताया. उनका कहना था कि इस मामले में जो आरोपी विक्रम (एप्रूवर) को बनाया गया था वह अपने 164 के बयान से मुकर गया था और उसके बावजूद इस मामले में सजा सुनाने की उम्मीद नहीं थी.
उनका कहना था कि उनको उम्मीद थी कि सभी बरी होंगे लेकिन अब हम इसे ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे और पूरी आशा है कि सभी आरोपी बरी करार दिए जाएंगे. जानकारी हो कि यह मामला सबसे पहले बिहार पुलिस को सौंपा गया था और कुछ दिन बाद इसे राज्य सीबीसीआईडी को दिया गया और अदालती कार्यवाही समस्तीपुर में हुई.
बाद में सीबीआई को ट्रांसफर किया गया और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सुनवाई का आदेश दिया. अभियोजन पक्ष ने 161 गवाह पेश किए थे जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 43 गवाहों ने गवाही दी थी.
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