जमानत गवां बैठे लोगों को दिल्ली फतह की जिम्मेदारी
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का पूरा ध्यान फंडिंग के जुगाड़ में है. पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार अलग-थलग पड़े हैं.
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल (फाइल फोटो) |
लोकसभा चुनाव में जमानत गवां बैठे और दिल्ली की जमीनी हकीकत से अनभिज्ञ लोगों को दिल्ली फतह की कमान सौंपी गई है.
भाजपा जहां आम आदमी पार्टी की नाकेबंदी के लिए अंदरखाने पूरी तैयारी में है वहीं केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में जमानत गवां बैठे लोगों को दिल्ली फतह के लिए उतार दिया है. पार्टी के प्रमुख सिपहसलार योगेन्द्र यादव और कुमार विश्वास अलग-थलग पड़े हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले आशीष तलवार भी नदारद हैं. पूर्वी दिल्ली से लोकसभा उम्मीदवार रहे महात्मा गांधी के पोते चुनाव हारने के बाद सीन से गायब हो गए. प्रो. आनंद कुमार की कोई खास सक्रियता नहीं है. केजरीवाल की नई टीम में पत्रकारिता से राजनीति में आये आशुतोष और आशीष खेतान अब अहम हो गए हैं.
हालांकि आशुतोष, आशीष और प्रो. आनंद कुमार सरीखे लोग दिल्ली की राजनीति से पूरी तरह वाकिफ हैं, लेकिन जिन नए लोगों को प्रमुख रूप से आगे किया जा रहा है उनकी राजनीतिक समझ को लेकर पार्टी के अंदर ही सवाल उठने लगे हैं. कांग्रेस छोड़कर आप में शामिल हुई अलका लांबा चांदनी चौक में जिम्मेदारी संभाल रही हैं. संभावना जताई जा रही है कि पार्टी अलका लांबा को चांदनी चौक से उम्मीदवार बना सकती है.
यूपी की नगीना लोकसभा सीट से जमानत गवां बैठी सारिका चौधरी को नार्थ-ईस्ट दिल्ली की कमान सौंपी गई है. इलाहाबाद से जमानत गवां बैठे पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री को नई दिल्ली की जिम्मेदारी मिली है. इसी प्रकार मुंबई से लोकसभा चुनाव हार कर आई बैंकर मीरा सन्याल और चंडीगढ़ से चुनाव हार चुकी अभिनेत्री गुलपनाग को भी खास तवज्जो दी जा रही है.
महिला विंग की कमांडेंट शालीमार बाग की पूर्व विधायक बंदना कुमारी को यह भी पता नहीं है कि किन-किन प्रमुख महिलाओं को कहां-कहां लगाया जा रहा है. बंदना कुमारी अपनी सीट को बचाये रखने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हैं. हालांकि बंदना का कहना है कि वह घरेलू महिलाओं को चुनाव प्रचार में उतारकर भाजपा को मुंहतोड़ जवाब देंगे.
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