यमुना में गिरने वाले गंदे पानी की होगी बिक्री
गंगा के साथ सरकार को यमुना नदी की भी चिंता है, इसके मद्देनजर एक ऐसी परियोजना शुरू की गई है, जो यदि सफल हो गई तो न केवल यमुना में नालों के पानी का गिरना बंद होगा, बल्कि गंदे पानी की बिक्री भी शुरू हो जाएगी.
यमुना में गिरने वाले गंदे पानी की होगी बिक्री |
फिलहाल इस परियोजना के तहत वृंदावन से मथुरा तक काम शुरू किया जा रहा है और यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो सबसे पहले इसे दिल्ली में लागू किया जाएगा. दिल्ली में इस समय 18 बड़े गंदे नालों का पानी यमुना में गिर रहा है.
वजीराबाद बैराज से ओखला बैराज तक दिल्ली में यमुना का सफर 22 किलोमीटर का है लेकिन इसमें गिरने वाले 18 बड़े नालों की वजह से इसका पानी बिल्कुल काला पड़ चुका है.
हालांकि प्रदूषण बोर्ड दावा करता है कि गंदे पानी को शोधित करने के लिए 16 ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, जिनके माध्यम से 635 मिलियन गैलन शोधित पानी यमुना में प्रतिदिन गिराया जाता है.
बावजूद इसके हाल ही में यमुना के पानी की गुणवत्ता काफी खराब पाई गई और इसमें कई ऐसे रासायनिक तत्व पाए गए हैं, जो जानलेवा हैं.
गंदे पानी को यमुना में गिराने के बजाए उसकी बिक्री कर अन्य उपयोग की परियोजना के बारे में जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि नदी विकास का काम जल संसाधन मंत्रालय को मिलने के बाद से ही इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि अब नदियों में शोधित पानी नहीं गिराया जाए और उसका अन्य प्रयोग किया जाए क्योंकि शोधित पानी भी काफी खराब है.
उनका कहना है कि यमुना में गिरने वाले पानी की बिक्री की योजना बनने के बाद एक कंपनी सामने आई है, जो गंदा पानी खरीद कर शोधित करेगी और फिर उसे सिंचाई आदि के लिए आपूर्ति करेगी.
कंपनी को पायलट प्रोजेक्ट के तहत वृंदावन से मथुरा तक का काम दिया गया है. 6 माह में नतीजे आने के बाद इसे दिल्ली में लागू किया जाएगा. हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करते समय यमुना का पानी बिल्कुल साफ रहता है मगर ओखला बैराज तक पहुंचते-पहुंचते यह काला हो जाता है.
यमुना में कुल प्रदूषण-भार का 79 फीसद अंशदान दिल्ली का माना जा रहा है, इसलिए परियोजना यदि दिल्ली में लागू हो जाएगी तो यमुना में 79 फीसद प्रदूषण अपने आप ही समाप्त हो जाएगा.
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