सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सरकार गठन की कोशिशों के लिए की एलजी की तारीफ, दी 12 दिनों की मोहलत

Last Updated 30 Oct 2014 10:28:06 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सरकार गठन के लिये उप राज्यपाल नजीब जंग की ओर से किये जा रहे प्रयासों की तारीफ करते हुये सुनवाई 11 नवंबर तक के लिए टाल दी.


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष आम आदमी पार्टी (आप) की दिल्ली में विधानसभा भंग कर नये सिरे से चुनाव कराये जाने की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुये कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल ने सरकार बनाने के लिये जो प्रयास किये हैं. वह सकारात्मक हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले भी अल्पमत की सरकार बनी है. कोर्ट ने आप से कहा कि किसी राजनीतिक दल के बाहर से समर्थन से अल्पमत की सरकार बन सकती है. हमें कुछ समय इंतजार करना चाहिए.

कोर्ट में इस मामले पर अब अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी.

उपराज्यपाल ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा था कि दिल्ली में सरकार बनाने की संभावनाओं को टटोलने के लिये वह सभी राजनीतिक दलों से अगले कुछ दिनों में बातचीत करेंगे. इस सिलसिले में उन्होंने बुधवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी.

इससे पहले मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुये दिल्ली में सरकार गठन में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार और उप राज्यपाल को कड़ा फटकार लगाई थी.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी भी की थी कि लोकतंत्र में राष्ट्रपति शासन हमेशा के लिए नहीं हो सकता है.

दिल्ली में क्या है स्थिति?

70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी अकाली दल के साथ उसकी 29 सीटें हैं और वह सबसे बड़ी पार्टी है. आप के 27 और कांग्रेस के आठ विधायक हैं. इसके अलावा एक निर्दलीय, एक जनता दल (यूनाइटेड) और एक आप से निष्कासित विधायक है.

भाजपा को बहुमत के 34 आंकड़े तक पहुंचने के लिए 5 विधायक कम पड़ते हैं.

तीन सीटें भाजपा विधायकों के सांसद चुन लिये जाने के बाद इस्तीफा देने से रिक्त हैं. कृष्णा नगर, महरौली और तुगलकाबाद में चुनाव आयोग ने 25 नवंबर को उप चुनाव कराने की घोषणा की है.



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