ओखला से डीएनडी तक नहीं बनेंगे नए मकान
ना-नुकुर के बाद आखिरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने ओखला पक्षी विहार के इर्द गिर्द के 1.27 किलोमीटर क्षेत्र को ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने के लिए ड्राफ्ट अधिसूचना जारी कर ही दी.
ओखला से डीएनडी तक नहीं बनेंगे नए मकान |
अधिसूचना के मुताबिक ओखला से लेकर नोएडा के डीएनडी फ्लाईओवर तक के ढाई किलोमीटर क्षेत्र के आसपास नए मकान नहीं बनाए जा सकेंगे. इस क्षेत्र में बदरपुर, रेता, बजरी व पत्थरों की खुदाई भी नहीं हो सकती. नए उद्योग, कारखाने भी नहीं लग सकते.
यहां तक कि शादी-ब्याह में ढोल बाजे आदि बजाने के लिए भी अनुमति लेनी होगी.
ओखला पक्षी विहार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और नोएडा के बीच है. ओखला पक्षी विहार और इसके आसपास ही प्रवासी पक्षी आकर अपना डेरा जमाते हैं. यहां प्रवासी और निवासी पक्षियों की कुल 324 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें कोर्मोंरेंटस, हैरांस, इग्रेटस, डारटर, कूट और बत्तख आदि खास हैं.
हालांकि ओखला बर्ड सेंक्चुरी के आसपास लगातार जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है. नए घर बनाए जा रहे हैं, वाहनों की संख्या और आवाजाही बढ़ रही है. नोएडा के सेक्टर 95, छलेरा और नया बांस में बिल्डर ऊंची ऊंची बिल्डिंगें बना रहे हैं. इसके कारण पक्षी विहार में पक्षियों की प्रजातियां खतरे में पड़ रही हैं. सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश के बाद पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने ओखला पक्षी विहार के आसपास ईको सेंसिटिव जोन घोषित करने के लिए तमाम पक्षों से विचार विमर्श किया था. विचार विमर्श के दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के पर्यावरण विभाग ने अपना-अपना पक्ष रखा था.
उत्तर प्रदेश सेंसिटिव जोन का क्षेत्र कम करने पर अड़ा था, लेकिन मंत्रालय की विशेषज्ञ टीम ने सेंसिटिव जोन की सीमा 100 मीटर से 1.27 किलोमीटर तक रखने की सिफारिश की, जिसे मंत्रालय ने मान लिया और अब इस बाबत ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. नोटिफिकेशन के मुताबिक, दिल्ली के जसोला, ओखला, अबू फजल एन्क्लेव, जोगाबाई, शाहीनबाग, कैनाल कॉलोनी तथा उत्तर प्रदेश के सेक्टर-95, गांव नया बांस और छलेरा ओरंगाबाद को सेंसिटिव जोन में शामिल गया है.
यानी इस क्षेत्र में व्यावसायिक तौर पर नए घर नहीं बनेंगे. केवल स्थानीय लोग अपनी जरूरत के मुताबिक घर बना सकेंगे. इस क्षेत्र में वाहनों के परिचालन, रेता, बजरी, पत्थरों की खुदाई, उद्योग लगाने, होटल व रेस्टोरेंट आदि खोलने पर भी प्रतिबंध रहेगा.
ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन की अवधि 90 दिन की है. इस दौरान जनता और संबंधित पक्षों से प्रतिक्रिया मांगी गई है. प्रतिक्रिया मिलने के लिए जायज संशोधन कर सरकार अधिसूचना जारी कर देगी.
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