दिल्ली में फिर सरकार बनाने के लिए हलचल तेज

Last Updated 29 Aug 2014 06:32:10 AM IST

दिल्ली में एक बार फिर सरकार के गठन की कसरत शुरू हो गई है.


दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग (फाइल फोटो)

हालांकि उपराज्यपाल नजीब जंग ने अब तक किसी राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया है, लेकिन इतना तय है कि उपराज्यपाल अपने स्तर पर नई सरकार के गठन की संभावनाएं तलाश रहे हैं. सरकार के गठन को लेकर उपराज्यपाल लगातार गृह मंत्रालय के संपर्क में हैं. माना जा रहा है कि गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलते ही वह भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करेंगे.

राजधानी दिल्ली में आप की सरकार के इस्तीफे के बाद 17 फरवरी को एक वर्ष के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. राष्ट्रपति शासन लागू करते समय विधानसभा को भंग नहीं किया गया था ताकि दिल्ली में नई सरकार के गठन की संभावना बनी रहे.

पिछले विधानसभा चुनाव में चुनाव जीत कर आए लगभग सभी पार्टियों के अधिकांश विधायक सरकार बनाने के पक्ष में हैं. हालांकि आप लगातार विधानसभा को भंग कर मध्यावधि चुनाव कराने की मांग कर रही है लेकिन भाजपा का एक गुट सरकार बनाने के पक्ष में है. विधानसभा भंग करने के मुददे पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है और 9 सितम्बर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना है. पिछली तारीख में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा था कि विधायक खाली क्यों बैठे हैं.

सूत्रों के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का जवाब तैयार करने से पहले केंद्र सरकार ने भी भाजपा नेताओं के साथ दिल्ली में नई सरकार की संभावनाओं पर विचार शुरू कर दिया है. भाजपा का एक गुट लगातार सरकार बनाने का विरोध करता रहा है यही कारण है कि अभी तक दिल्ली में सरकार का गठन नहीं हो सका है.

दरअसल उत्तराखंड व बिहार उपचुनाव में हार के बाद भाजपा नेता अब जल्द ही दिल्ली में चुनाव का खतरा उठाने से डर रहे हैं, यही कारण है कि एक बार फिर सरकार के गठन को लेकर मशक्कत की जा रही है. उपराज्यपाल नजीब जंग से बृहस्पतिवार को जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि नई सरकार के गठन की संभावनाएं बरकरार हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली की राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर वह एक रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को भेजने पर विचार कर रहे हैं.

विधानसभा चुनाव में भाजपा अकाली गठबंधन को कुल 32 सीटें हासिल हुई थीं जबकि आम आदमी पार्टी को 28 तथा कांग्रेस को 8 सीटें मिली थी. एक सीट पर निर्दलीय तथा एक सीट पर जद-यू प्रत्याशी विजयी हुए थे. भाजपा के तीन विधायक डा.हषर्वर्धन, रमेश बिधूड़ी व प्रवेश वर्मा लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बन गए हैं और उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है. अब भाजपा गठबंधन के विधानसभा में 29 सदस्य हैं, अभी भी भाजपा विधानसभा में सबसे बड़े दल के रूप में है, इसलिए उपराज्यपाल यदि नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू करते हैं तो सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा को ही आमंत्रित करेंगे.

भाजपा को बहुमत के लिए 7 सदस्यों की जरूरत है. भाजपा किसी भी दल में तोड़फोड़ से इनकार कर चुकी है ऐसे में भाजपा के सामने बहुमत का आंकड़ा जुटाना बड़ी चुनौती है. जिस तरह आप व कांग्रेस के अधिकांश विधायक दोबारा चुनाव के पक्ष में नहीं है उसे देखते हुए आप व कांग्रेस नेतृत्व में अब खलबली मच गई है. इन दलों के नेता अपने-अपने विधायकों को टूटने से बचाने की कसरत में लग गए हैं.



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