अब एक ही जगह मिलेगी दुष्कर्म पीड़िताओं को हर सहायता
राजधानी में दुष्कर्म की पीड़ित महिलाओं को तत्काल उचित उपचार, काउंसलिंग प्रदान करने तथा हर तरह की राहत प्रदान करने के लिए प्रत्येक जिले में वन स्टॉप सेंटर बनाया जायेगा.
अब एक ही जगह मिलेगी दुष्कर्म पीड़िताओं को हर सहायता |
इस सेंटर में एक ही स्थान पर पीड़िता की सभी तरह की फोरेंसिंक जांचों व चिकित्सा सुविधा मिलने के साथ साथ पीड़िता की ओर से एफआईआर दर्ज की जायेगी. अपनी तरह के अनूठे इस पहले वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत बृहस्पतिवार को मंगोलपुरी के संजय गांधी अस्पताल में होगी.
राजधानी में दिसम्बर 2012 में चलती बस में हुए निर्भया सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद निर्भया के उपचार व एफआईआर आदि में हुई देरी के बाद तमाम स्वयंसेवी संगठनों ने दुष्कर्म पीड़िताओं को समय पर उपचार व मदद न मिलने के खिलाफ आवाज उठाई थी जिस पर सरकार ने ऊषा मेहरा आयोग का गठन किया था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भी इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि दुष्कर्म पीड़िताओं को जहां थाने में उचित मदद नहीं मिलती वहीं तत्काल चिकित्सीय जांच व उपचार के लिए भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दुष्कर्म पीड़िताओं को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए ऐसे केन्द्र बनाने की सिफारिश की थी जहां पीड़िताओं को तत्काल उपचार, राहत व कानूनी मदद मिल सके. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अस्पतालों में दुष्कर्म पीड़िताओं के उपचार व जांच के लिए अलग कक्ष होना चाहिए. उक्त घटना के बाद हालांकि दिल्ली सरकार ने सभी जिलों में रेप क्राइसिस सेंटर बनाये थे लेकिन इन रेप क्राइसिस सेंटरों पर जहां सामाजिक बदनामी की डर से पीड़ित महिलाएं नहीं पहुंचती थी, वहीं इन सेंटरों पर पर्याप्त राहत व मदद के उपाय भी नहीं थे.
स्वास्थ विभाग ने अब पीड़ित महिलाओं को एक ही केन्द्र पर उपचार, फोरेंसिक जांच, काउंसलिंग , कानूनी मदद व पुलिस मदद उपलब्ध कराने के लिए सभी जिलों में एक एक वन स्टॉप सेंटर बनाने की योजना बनाई है. अपनी तरह के पहले व अनूठे वन स्टॉप एसेंटर ओएससी की शुरुआत बृहस्पतिवार को उपराज्यपाल करेंगे. इस सेंटर में कुल दो कक्ष होंगे जिनमें एक कक्ष सभी चिकित्सीय सुविधाओं से लैस होगा जबकि काउंसलिंग के लिए दूसरा कक्ष ड्राइंगरूम की तरह आरामदायक होगा.
यह सेंटर पूरी तरह वातानुकूलित होगा और काउंसलिंग कक्ष में सभी जरूरी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. पीड़िता की एफआईआर दर्ज करने की सुविधा भी इसी सेंटर में होगी, एक बार सेंटर में आने के बाद पीड़िता को न तो एफआईआर के लिए थाने जाना होगा न फोरेंसिक जांच के लिए किसी लैब में जाना होगा और न चिकित्सीय उपचार के लिए किसी वार्ड में जाना होगा.
इसी केन्द्र में पीड़िता के साथ हुई घटना के सबूत जुटाने व कानूनी मदद पहुंचाने की व्यवस्था भी होगी ताकि पीड़िता को न्याय के लिए भटकना न पड़े. इस तरह के केन्द्र अस्पतालों में बनाये जायेंगे और यह केन्द्र 24 घंटे कार्य करेंगे. इन केन्द्रों पर अस्पताल के डाक्टर व पेरामेडिकल स्टाफ के अलावा पुलिसकर्मी भी सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगे.
| Tweet |